सोनू करवरिया की रिपोर्ट
नरैनी: जल जीवन मिशन के अंतर्गत गांव-गांव तक पानी पहुंचाने की दिशा में पंचायती राज विभाग द्वारा ग्राम प्रधानों, पंचायत सहायकों और महिला समूह के सदस्यों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम ब्लॉक परिसर में बीते तीन दिनों से चल रहा था, लेकिन इसे ग्राम प्रधानों और अन्य जिम्मेदार व्यक्तियों की उदासीनता के चलते निराशाजनक प्रतिक्रिया मिली।
ब्लॉक परिसर में हुए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में नरैनी क्षेत्र की 83 ग्राम पंचायतों में से केवल तीन ग्राम प्रधान—परशहर के चंद्रभान सिंह यादव, पंचमपुर के शिवकुमार उर्फ लाला राजपूत और पिपरहरी के चंद्रपाल वर्मा—ही उपस्थित रहे। पंचायत सहायकों की भागीदारी भी नाम मात्र रही, जबकि महिला समूह की केवल 10 सदस्य ही कार्यक्रम में शामिल हो सकीं। कुल मिलाकर, अधिकांश कुर्सियां खाली पड़ी रहीं, जिससे कार्यक्रम के प्रति लोगों की उदासीनता साफ झलक रही थी। यहां तक कि ट्रेनर भी प्रशिक्षण के दौरान ऊंघते हुए नजर आए, जिससे प्रशिक्षण कार्यक्रम की गंभीरता पर सवाल उठ खड़े हुए।
इस प्रशिक्षण का उद्देश्य जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल योजना को सफल बनाने के लिए ग्राम प्रधानों को जागरूक करना था। ग्राम प्रधानों को गांवों में खोदी गई सड़कों को दुरुस्त करने, हर घर में नल कनेक्शन सुनिश्चित करने और उसके बाद योजना का ‘हैंड ओवर’ करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस योजना का हैंड ओवर करने के बाद, हर घर तक पानी की पहुंच सुनिश्चित करने की पूरी जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों पर आ जाएगी।
हालांकि, प्रशिक्षण की गंभीरता के बावजूद ग्राम प्रधानों की अनुपस्थिति ने इस पूरे आयोजन की सार्थकता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सभी ग्राम प्रधानों को समय से सूचना दी गई थी, फिर भी उनकी उपस्थिति न के बराबर रही। इसके चलते अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि ग्राम प्रधानों की इस उदासीनता पर संबंधित विभाग को अवगत कराते हुए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
इस प्रकार, जल जीवन मिशन के इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य तभी सफल हो पाएगा जब ग्राम प्रधान और अन्य संबंधित अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाएं और इस योजना को जमीनी स्तर पर प्रभावी तरीके से लागू करें। अन्यथा, सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना पर पानी फिरता नजर आ सकता है।