चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में चर्चित बाबा सिद्दीकी हत्याकांड के मामले में हर दिन नई-नई जानकारियाँ सामने आ रही हैं। इस मामले की जाँच में लगी उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने हत्याकांड के मुख्य आरोपी शिवकुमार गौतम को नेपाल भागने के दौरान धर दबोचा। शिवकुमार के साथ उसके कुछ साथी भी थे, जिन्हें भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने जब शिवकुमार से पूछताछ की तो उसने कई बड़े खुलासे किए, जिससे इस हत्याकांड के पीछे की साजिश का पर्दाफाश हुआ।
हत्या के बाद कई शहरों में भागता फिरा आरोपी
शिवकुमार गौतम ने पुलिस पूछताछ में बताया कि बाबा सिद्दीकी की हत्या को अंजाम देने के बाद वह सबसे पहले मुंबई से पुणे भाग गया। वहां से वह झांसी और फिर लखनऊ होते हुए बहराइच पहुँचा। इतने दिनों तक फरार रहने के दौरान उसने जगह-जगह अपने ठिकाने बदले और पुलिस को चकमा देने की कोशिश की।
लॉरेंस बिश्नोई गैंग के इशारों पर हुई थी हत्या
पूछताछ में शिवकुमार ने बताया कि वह और धर्मराज कश्यप एक ही गांव के रहने वाले हैं और दोनों पुणे में स्क्रैप का काम करते थे। उसकी स्क्रैप की दुकान के पास ही शुभम लोनकर की दुकान थी। शुभम लोनकर लॉरेंस बिश्नोई गैंग के लिए काम करता है। शुभम ने कई बार शिवकुमार की बात स्नैपचैट के जरिए लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई से कराई थी। शिवकुमार को बाबा सिद्दीकी की हत्या के बदले 10 लाख रुपये का लालच दिया गया था और हर महीने कुछ ना कुछ आर्थिक मदद का आश्वासन भी मिला था।
हत्या की योजना और हथियारों की व्यवस्था
शिवकुमार ने खुलासा किया कि हत्या के लिए हथियार, कारतूस, सिम कार्ड और मोबाइल फोन शुभम लोनकर और यासीन अख्तर ने मुहैया कराए थे। मुंबई में कई दिनों से बाबा सिद्दीकी की रेकी की जा रही थी। सही मौके की तलाश में थे, जो 12 अक्टूबर, 2024 की रात को मिला। उस दिन एक त्योहार होने के कारण पुलिस और आम लोगों की भीड़-भाड़ थी, जिसका फायदा उठाकर उन्होंने हत्या को अंजाम दिया। हत्या के तुरंत बाद दो लोग मौके पर ही पकड़ लिए गए, जबकि शिवकुमार फरार हो गया। फरारी के दौरान उसने अपने मोबाइल फोन को रास्ते में फेंक दिया ताकि उसकी लोकेशन ट्रेस न हो सके।
नेपाल भागने की योजना
शिवकुमार ने बताया कि हत्या के बाद आपस में बात करने के लिए तीनों को नए सिम कार्ड और मोबाइल फोन दिए गए थे। फरारी के दौरान वह रास्ते में लोगों से फोन मांगकर अपने साथियों और हैंडलर्स से संपर्क करता था। उसने बताया कि एक बार उसने ट्रेन में सफर के दौरान एक यात्री से फोन लेकर अनुराग कश्यप से बात की थी। अनुराग ने उसे बताया कि अखिलंदर ज्ञान प्रकाश और आकाश ने नेपाल में उसके छिपने की पूरी व्यवस्था कर ली है। इसीलिए वह बहराइच आया और नेपाल भागने की तैयारी में जुट गया।
पुलिस की मुस्तैदी से टली फरारी
शिवकुमार और उसके साथियों की नेपाल भागने की योजना सफल होती, इससे पहले ही यूपी एसटीएफ ने मुस्तैदी दिखाते हुए उन्हें पकड़ लिया। इस गिरफ्तारी से हत्याकांड के अन्य पहलुओं पर भी रोशनी पड़ी है, और लॉरेंस बिश्नोई गैंग के देशव्यापी नेटवर्क का भी खुलासा हुआ है। पुलिस अब इस मामले की कड़ियों को जोड़ते हुए अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है।
यह हत्याकांड एक बार फिर से देश में अपराधियों के संगठित गिरोहों की मौजूदगी और उनकी सक्रियता पर सवाल खड़े कर रहा है। पुलिस की इस बड़ी कार्रवाई से निश्चित रूप से अपराधियों में खौफ पैदा हुआ है, लेकिन यह देखना बाकी है कि इस मामले में और कौन-कौन से नए नाम सामने आते हैं।