कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी, एक बार फिर से भू-माफियाओं और प्रशासन की मिलीभगत का केंद्र बन गई है। यह मामला बंथरा क्षेत्र के लखनऊ-कानपुर रोड पर स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय की सरकारी भूमि (गाटा संख्या 544/2021) से जुड़ा है, जिस पर पिछले 50 वर्षों से अवैध दुकानों और शोरूमों का कब्जा है। इस भूमि का आवंटन जिला पंचायत द्वारा किया गया था, लेकिन आधी सदी से अधिक समय से इस पर अवैध कब्जा बना हुआ है, जिससे करोड़ों रुपये की अवैध कमाई हो रही है।
सरकारी जांच में भू-माफियाओं की संलिप्तता साबित होने के बाद भी प्रशासन की निष्क्रियता चौंकाने वाली है। बंथरा थाने में इन भूमाफियाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया, परंतु अब तक सरकारी जमीन को खाली कराने के लिए जिला प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाया।
हाल ही में हाई कोर्ट ने सरोजिनी नगर के उप-जिलाधिकारी को आदेश दिया कि वे तुरंत इस भूमि पर से अवैध निर्माण हटवाकर सरकारी संपत्ति को मुक्त कराएं और इस कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। बावजूद इसके, अब तक न तो भूमि से अवैध कब्जा हटाया गया और न ही जिला पंचायत के अधिकारियों ने कोई स्पष्ट कदम उठाया।
भूमाफिया, रसूखदार व्यक्तियों और सत्ता से जुड़े प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत से कानून का भय समाप्त होता दिख रहा है। यहां तक कि सरोजिनी नगर के उप-जिलाधिकारी भी अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने में अक्षम प्रतीत होते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भूमाफियाओं, खनन माफियाओं और अवैध प्रॉपर्टी डीलरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं और अवैध कब्जे हटाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। फिर भी, लखनऊ में भू-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की कमी सरकार की नीतियों पर प्रश्नचिह्न खड़े कर रही है।
हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना और सत्ता में बैठे नेताओं के संरक्षण में भूमाफियाओं द्वारा अवैध कब्जे जारी रखना यह दर्शाता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति और निर्देशों का पालन नहीं हो रहा।
इस स्थिति से यह आभास होता है कि यदि किसी गरीब व्यक्ति ने ऐसा अवैध कब्जा किया होता, तो प्रशासन तुरंत बुलडोजर लेकर उसकी संपत्ति को नष्ट कर देता। लेकिन रसूखदार और दबंग भू-माफियाओं के सामने प्रशासन अपनी प्रतिबद्धता कायम रखने में असफल क्यों हो रहा है, यह एक बड़ा सवाल है।