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November 22, 2024 2:48 am

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क्यों घट रहा गोवर्धन पर्वत का आकार, क्यों इसके पत्थर कहीं और नहीं ले जा सकते?

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मोहन द्विवेदी

धर्म ग्रंथों के अनुसार, दिवाली के दूसरे दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है। इस बार ये पर्व 2 नवंबर, शनिवार को है। इस दिन महिलाएं अपने आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर इसकी पूजा करती हैं।

गोवर्धन पर्वत मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बज्रमंडल में स्थित है। धर्म ग्रंथों में इसे साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का ही स्वरूप माना गया है। रोज हजारों लोग गोवर्धन पर्वत के दर्शन और परिक्रमा करने पहुंचते हैं। गोवर्धन पर्वत से जुड़ी कईं मान्यताएं भी हैं जो इस प्रकार हैं…

कलयुग का संकेत है गोवर्धन पर्वत का घटना

मान्यता है कि किसी समय गोवर्धन पर्वत का आकार बहुत ही बड़ा था। कलयुग के आरंभ होने के साथ ही इसकी ऊंचाई धीरे-धीरे कम होने लगी। आज गोवर्धन पर्वत का जितना आकार दिखाई दे रहा है, उसमें भी निरंतर कमी आती जा रही है। कहते हैं कि जिस दिन गोवर्धन पर्वत पूरी तरह से धरती से सट जाएगा यानी खत्म हो जाएगा, उस दिन से कलयुग अपने चरम काल पर पहुंच जाएगा। यानी धरती से धर्म का नामोनिशान मिट जाएगा और अधर्म का बोलबाला होगा।

इस पर्वत के पत्थर ले जाना महापाप

गोवर्धन पर्वत से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि इसके पत्थर को कोई भी व्यक्ति अपने घर नहीं ले जा सकता। अगर वो ऐसा करता है तो उसके बुरे दिन शुरू हो सकते हैं और उसकी सुख-संपत्ति भी जल्दी ही नष्ट हो सकती है। गोवर्धन पर्वत के पत्थर को अधिक से अधिक 84 कोस तक यानी ब्रज मंडल की सीमा तक ही ले जा सकते हैं। इसके आगे इसे ले जाना महापाप माना गया है।

गोवर्धन परिक्रमा के अनेक नियम

धर्म ग्रंथों में गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि जो भी गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। गोवर्धन पर्वत परिक्रमा के कुछ जरूरी नियम भी हैं जैसे…

1. गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जूते, चप्पल पहनकर नहीं करना चाहिए।

2. परिक्रमा करते समय बीड़ी-सिगरेट, तंबाकू आदि का सेवन न करें।

3. परिक्रमा किसी वाहन में बैठकर नहीं करनी चाहिए।

4. परिक्रमा करते समय व्यर्थ की बातें बिल्कुल भी न करें, भगवान के भजन करें।

5. परिक्रमा के दौरान कोई भी गलत विचार मन में न लाएं।

Disclaimer

इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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