Explore

Search

November 1, 2024 4:54 pm

फिर चर्चा में आई सांसद कंगना रनौट, तारीख पर कोर्ट में हाजिर जो नहीं हुईं.. आगे पढिए क्या हुआ ❓

3 Views

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

बॉलीवुड स्टार और भाजपा सांसद कंगना रनौत एक बार फिर से विवादों के घेरे में आ गई हैं। किसान आंदोलन के दौरान उनके द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर शुक्रवार को उन्हें बुलंदशहर स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश होना था। हालांकि, कंगना इस सुनवाई पर हाजिर नहीं हो सकीं। इस सिलसिले में उनके वकील ने कोर्ट में उनकी गैरमौजूदगी के लिए हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र दायर किया। कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 28 नवंबर निर्धारित की है, जिसमें कंगना को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया गया है।

कंगना पर क्या है आरोप?

यह मामला किसान नेता गजेंद्र शर्मा द्वारा 19 सितंबर 2024 को एमपी-एमएलए कोर्ट में दाखिल याचिका पर आधारित है। किसान नेता का आरोप है कि कंगना ने किसान आंदोलन के दौरान एक ऐसी टिप्पणी की थी, जिससे किसानों और उनके समर्थकों की भावनाएं आहत हुई थीं। उनका कहना है कि किसानों के प्रति की गई इस टिप्पणी में असंवेदनशीलता झलकती है, जिसने समाज के एक बड़े वर्ग को नाराज़ किया। इस विवाद के कारण कंगना को समन भेजा गया और कोर्ट ने उन्हें मुंबई और हिमाचल प्रदेश स्थित उनके आवासीय पतों पर नोटिस भी भेजा था।

कंगना की ओर से क्या है पक्ष?

कंगना रनौत के वकील संजय शर्मा ने मीडिया को बताया कि किसान आंदोलन के दौरान की गई टिप्पणी के लिए यह अदालत में पेशी की पहली तारीख थी। उनके अनुसार, कंगना की व्यस्तता के कारण इस तारीख पर वे कोर्ट में हाजिर नहीं हो सकीं, जिसके चलते उन्होंने हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र दायर किया।

कोर्ट का रुख

अदालत ने कंगना की अनुपस्थिति पर गंभीरता से ध्यान दिया और अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तारीख पर कंगना का व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना अनिवार्य है। अगर वे अगली सुनवाई पर भी अनुपस्थित रहती हैं, तो उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

बढ़ते विवाद का राजनीतिक प्रभाव

कंगना रनौत एक लोकप्रिय फिल्म अभिनेत्री होने के साथ-साथ भाजपा की सक्रिय सदस्य भी हैं। उनके विवादित बयानों को लेकर यह पहली बार नहीं है जब उन्हें कानूनी पचड़े में फंसा देखा जा रहा है। इससे पहले भी उन्होंने कई विवादास्पद मुद्दों पर बेबाक टिप्पणियां की हैं, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों में हलचल मची है। उनके बयानों के चलते जहां वे अपने समर्थकों के बीच एक बेबाक व्यक्तित्व के रूप में जानी जाती हैं, वहीं कई बार उनकी टिप्पणियों से सामाजिक तनाव भी पैदा हुआ है।

यह मामला आने वाले समय में और तूल पकड़ सकता है, क्योंकि किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दे और उससे संबंधित संवेदनशीलता पहले से ही समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। 28 नवंबर को कंगना की उपस्थिति इस मामले के निर्णायक मोड़ की दिशा तय कर सकती है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."