चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
गोंडा। इस वर्ष का दीपोत्सव कई धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ विशेष महत्व रखता है। 31 अक्टूबर को दीपावली, जो भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाएगी। दीपावली के पहले 29 अक्टूबर को धनतेरस का पर्व आएगा, जिसे धन और समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है। इस दिन लोग सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन, और अन्य सामग्री खरीदते हैं।
इसके बाद 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी, जिसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन की पूजा और दीप जलाने का महत्व है ताकि जीवन से अंधकार और नकारात्मकता को दूर किया जा सके।
दीपावली के तुरंत बाद 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 3 नवंबर को भैया दूज के पर्व आएंगे। गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा का स्मरण किया जाता है और भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
इसके बाद 7 नवंबर को छठ पूजा का आयोजन होगा, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व पर सूर्य देवता की पूजा की जाती है और व्रत रखने वाले श्रद्धालु उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा और गुरुनानक जयंती के साथ इस पावन मास का समापन होगा। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान का विशेष महत्व होता है, जबकि गुरुनानक जयंती सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है।
अयोध्या में इस दौरान विशेष आयोजन होंगे, जिनमें दीपोत्सव, पंचकोसी और चौरासी कोसी परिक्रमा जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यक्रम शामिल हैं। इन आयोजनों में लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेंगे, और अयोध्या नगरी रोशनी से सराबोर होगी। अयोध्या में दीपोत्सव का यह कार्यक्रम विश्वभर में अपनी अनूठी पहचान बना चुका है, जिसमें लाखों दीयों से पूरी नगरी जगमग हो उठती है।
यह पर्व श्रृंखला भारतीय संस्कृति, धर्म और परंपराओं की समृद्ध धरोहर को उजागर करती है और सभी को एकजुट करने का अवसर प्रदान करती है।
Author: samachar
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