संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट, मानिकपुर। मानिकपुर विकास खंड के ग्राम पंचायतों में तैनात तकनीकी सहायक सुशील कुमार यादव पर भारी भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, सुशील कुमार यादव, जो पहले एक निजी विद्यालय में शिक्षक थे, आज ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में धांधली करके अकूत संपत्ति का मालिक बन बैठे हैं। उनके खिलाफ मनरेगा योजना के तहत विकास कार्यों में सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की पटकथा लिखने के गंभीर आरोप हैं।
साधारण शिक्षक से अकूत संपत्ति तक का सफर
सुशील कुमार यादव का करियर सन् 2007-08 में सरस्वती शिशु मंदिर गांधीनगर, मानिकपुर से शुरू हुआ था, जहाँ वे मात्र तीन हज़ार रुपये मासिक मानदेय पर प्राइवेट शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। सीमित आय में जीवन यापन करने वाले सुशील यादव, तकनीकी सहायक के रूप में नियुक्ति के बाद अचानक से संपन्न हो गए। वर्तमान में उनकी संपत्ति का दायरा इतना बड़ा हो गया है कि उनके बच्चे विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
ग्राम पंचायतों में धांधली और भ्रष्टाचार
तकनीकी सहायक के पद पर तैनात सुशील कुमार यादव द्वारा ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में जमकर धांधली की जा रही है।
ग्राम पंचायत डोंडा माफ़ी, टिकरिया, इटवा डुड़ैला आदि क्षेत्रों में सुशील कुमार यादव पर मनरेगा योजना के तहत विकास कार्यों में फर्जी तरीके से मापदंड (एमबी) तैयार कर सरकारी धन का बंदरबांट करने के गंभीर आरोप हैं।
सबसे अधिक चर्चित मामला ग्राम पंचायत डोंडा माफ़ी का है, जहाँ श्रीमती मुनीवा यादव प्रधान होने के बावजूद, ग्राम पंचायत का पूरा कार्यभार सुशील यादव ही संभाल रहे हैं। यहाँ राज्य वित्त और पंद्रहवें वित्त आयोग की योजनाओं में जमकर गड़बड़ियाँ की गई हैं।
प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका पर सवाल
इन आरोपों के बीच यह सवाल उठता है कि आखिर जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी क्यों चुप हैं? क्या उनकी मिलीभगत के चलते ही सुशील कुमार यादव लगातार ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार कर रहे हैं? ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों की अनदेखी और लीपापोती का यह खेल कब तक चलता रहेगा, यह बड़ा प्रश्न है।
जाँच की माँग
स्थानीय निवासियों और कुछ राजनीतिक संगठनों ने जिला प्रशासन से माँग की है कि सुशील कुमार यादव द्वारा किए गए सभी विकास कार्यों की उच्च स्तरीय जाँच होनी चाहिए। अगर प्रशासन ईमानदारी से जाँच करता है, तो बहुत बड़े भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकता है। प्रशासन को इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए, दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी सरकारी योजना का दुरुपयोग न हो सके।
Author: samachar
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