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November 1, 2024 3:09 pm

मिल्कीपुर उपचुनाव : भाजपा के धोबी पछाड़ से अखिलेश चित, अवधेश प्रसाद की जाएगी सांसदी !

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

लखनऊ: भारत निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर दी है। यह चुनाव 13 नवंबर को एक साथ होंगे और 23 नवंबर को मतगणना की जाएगी। हालांकि, अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर चुनाव की घोषणा नहीं की गई है। इस पर समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।

सपा प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर उपचुनाव होने थे, लेकिन आयोग ने केवल 9 सीटों के चुनाव की घोषणा की। मिल्कीपुर विधानसभा सीट को इस आधार पर छोड़ दिया गया कि वहां का मामला कोर्ट में लंबित है। सपा का सवाल है कि क्या कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश दिया है, जिससे वहां चुनाव नहीं हो सकता? सीसामऊ विधानसभा सीट पर भी याचिका लंबित है, फिर वहां चुनाव क्यों कराए जा रहे हैं? उन्होंने कहा कि इस तरह के भेदभाव से चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठता है।

इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव आयोग का फैसला है और मिल्कीपुर का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद के नामांकन में नोटरी संबंधित त्रुटि को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, और यह याचिका अभी भी पूर्व भाजपा विधायक बाबा गोरखनाथ द्वारा हाईकोर्ट में लंबित है। इस याचिका के कारण ही मिल्कीपुर में चुनाव नहीं हो रहे हैं।

मामले की पृष्ठभूमि यह है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने जीत दर्ज की थी। लेकिन उनके नामांकन के दौरान नोटरी में त्रुटि पाई गई थी, जिसे लेकर भाजपा के पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में आरोप लगाया गया है कि जिस वकील ने अवधेश प्रसाद की नोटरी का सत्यापन किया था, उस समय वकील का लाइसेंस रिन्यू नहीं था। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, जिस तारीख को नोटरी किया जाता है, उस समय तक वकील का लाइसेंस वैध होना चाहिए। इसी वजह से मिल्कीपुर में चुनाव की घोषणा नहीं की गई है।

समाजवादी पार्टी ने इस निर्णय को लेकर सवाल खड़े किए हैं और इसे चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर संदेह के रूप में देखा जा रहा है, जबकि भाजपा इसे एक कानूनी मुद्दा बताकर कोर्ट के आदेश का पालन मान रही है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."