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December 10, 2024 3:45 am

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संन्यासी की जीवनभर की कमाई पर साइबर अपराधियों का हमला

28 पाठकों ने अब तक पढा

 चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

जुलाई के पहले सप्ताह की घटना है, जब रायगढ़ के एक आश्रम में रहने वाले 67 वर्षीय सत्यजीत सिंह (काल्पनिक नाम) अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त थे। अचानक उनका मोबाइल बजा और एक अनजान नंबर से कॉल आई। सत्यजीत ने जैसे ही कॉल उठाई, दूसरी तरफ से एक महिला की आवाज आई। महिला ने कहा कि वह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से है और सत्यजीत से एक गंभीर मामले पर बात करना चाहती है। केस का नाम सुनते ही सत्यजीत थोड़े घबरा गए।

महिला ने बातचीत जारी रखते हुए बताया कि सत्यजीत के आधार कार्ड और सिम कार्ड का उपयोग डार्क वेब पर अवैध लेनदेन के लिए किया जा रहा है। यह जानकारी उन्हें मुंबई पुलिस से मिली थी और इस कारण उनका नंबर अगले दो घंटों में बंद कर दिया जाएगा। सत्यजीत अभी इस जानकारी को पूरी तरह समझ भी नहीं पाए थे कि कॉल कट गई। वह यह सोचकर दहशत में आ गए कि उनकी निजी जानकारी डार्क वेब तक कैसे पहुंची और यह सब उनके नाम पर कैसे हो सकता है?

सत्यजीत अभी अपने ऊपर आए इस संकट के बारे में सोच ही रहे थे कि उनके मोबाइल पर एक नए नंबर से वीडियो कॉल आई। कॉल में पुलिस की वर्दी पहने हुए एक व्यक्ति दिखाई दिया जिसने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। इस व्यक्ति ने सत्यजीत को यह जानकारी दी कि उनके आधार कार्ड और मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर डार्क वेब पर ड्रग्स और हथियारों की खरीदारी की गई है।

यह खबर सुनकर सत्यजीत का दिमाग सुन्न हो गया। पुणे में रहने वाले सत्यजीत, जो पिछले कुछ समय से आश्रम में सन्यासी जीवन जी रहे थे, इस जानकारी से स्तब्ध हो गए। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके नाम से इतनी गंभीर गतिविधियाँ की जा रही होंगी। वीडियो कॉल पर मौजूद शख्स ने यह भी कहा कि इस मामले में सत्यजीत की गिरफ्तारी हो सकती है, क्योंकि पुलिस को उनके खिलाफ पुख्ता सबूत मिल चुके हैं।

इस कॉल पर सत्यजीत को कुछ ऐसी सामग्री भी दिखाई गई, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उनके नाम पर बैंक खाते खोले गए थे जिनका उपयोग अवैध लेनदेन के लिए किया गया था। अब सत्यजीत इस बड़ी मुसीबत में फंस चुके थे। कॉल करने वाले व्यक्ति ने उन्हें यह भरोसा दिलाया कि अगर वह जांच में सहयोग करेंगे, तो पुलिस उनका साथ देगी और उन्हें मामले से बाहर निकलने में मदद मिलेगी।

कॉल करने वाले ने सत्यजीत से कहा कि अगर वह इस मामले से बचना चाहते हैं, तो उन्हें अपने बैंक खातों की सभी धनराशि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सिक्योर खाते में ट्रांसफर करनी होगी, ताकि उनकी रकम सुरक्षित रहे और बाद में जांच के बाद उन्हें वापस लौटा दी जाएगी। सत्यजीत ने घबराहट में तुरंत अपने बैंक खाते से 27 लाख रुपये बताए गए अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए।

यह रकम असम के एक बैंक खाते में ट्रांसफर की गई थी। जैसे ही पैसे ट्रांसफर हुए, कॉल अचानक कट गई। सत्यजीत ने कुछ देर इंतजार किया और फिर उसी नंबर पर दोबारा कॉल करने की कोशिश की, लेकिन वह नंबर बंद हो चुका था। अब सत्यजीत को एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हो चुकी है। कुछ दिनों बाद, उन्होंने अपनी बहन से इस घटना का जिक्र किया, जिसने उन्हें बताया कि यह साइबर अपराध का एक मामला है और वह ठगी का शिकार हो चुके हैं।

यह डिजिटल अरेस्ट की ठगी का पहला मामला नहीं था। देशभर में इस प्रकार की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। सत्यजीत ने तुरंत साइबर क्राइम सेल से संपर्क किया और इस धोखाधड़ी के बारे में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की और बताया कि इस तरह की ठगी से बचने के लिए लोगों को जागरूक करने के प्रयास जारी हैं। मई महीने में गृह मंत्रालय की ओर से भी ऐसी ठगी से संबंधित एक एडवाइजरी जारी की गई थी, जिसमें लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई थी।

यह घटना उन हजारों मामलों में से एक है, जो साइबर अपराधों की गंभीरता को दर्शाती है। डिजिटल प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग तेजी से बढ़ रहा है, और लोग साइबर अपराधियों के शिकार बनते जा रहे हैं।

News Desk
Author: News Desk

Kamlesh Kumar Chaudhary

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