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November 21, 2024 11:21 pm

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शिक्षक सम्मान समारोह : रचनात्मकता और राष्ट्र निर्माण में योगदान का अभिनंदन

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

बांदा। 6 अक्टूबर को लखनऊ के होटल अम्बर में शैक्षिक संवाद मंच द्वारा आयोजित एक भव्य समारोह में शिक्षकों के योगदान और उनके प्रयासों को सम्मानित किया गया। इस समारोह में उत्तर प्रदेश और गुजरात से आए कई शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भाग लिया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, पद्मश्री उमाशंकर पांडेय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षक समाज के सच्चे मार्गदर्शक हैं और उनके शैक्षिक समर्पण, रचनात्मकता, पर्यावरण जागरूकता, और राष्ट्र निर्माण में योगदान को पहचानना ही उनका असली सम्मान है।

समारोह का शुभारंभ मां सरस्वती और गिजुभाई बधेका के चित्रों पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मंच के संरक्षक रामकिशोर पांडेय ने शैक्षिक संवाद मंच की यात्रा और इसके उद्देश्यों पर अपने विचार रखे। उन्होंने मंच के ध्येय ‘विद्यालय बनें आनंदघर’ पर जोर देते हुए बताया कि कैसे यह पहल शिक्षकों के प्रयासों को नई दिशा प्रदान कर रही है।

इस कार्यक्रम का एक विशेष आकर्षण कवि दुर्गेश्वर राय द्वारा संपादित कविता संग्रह ‘नदी बहने लगी है’ का विमोचन था। विमोचन समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ बाल साहित्यकार बंधु कुशावर्ती, मुख्य अतिथि डॉ. जाकिर अली रजनीश, संरक्षक रामकिशोर पांडेय और मंच संस्थापक प्रमोद दीक्षित मलय ने संयुक्त रूप से पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर संपादक दुर्गेश्वर राय ने पुस्तक पर अपने विचार साझा किए और इस संग्रह की कविताओं की महत्ता पर प्रकाश डाला।

समारोह में नवाचारी शिक्षकों का भी विशेष सम्मान किया गया। गिजुभाई बधेका राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान-2024 से 84 शिक्षकों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने अपने विद्यालयों को ‘आनंदघर’ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही ‘नदी बहने लगी है’ कविता संग्रह में योगदान देने वाले 48 में से उपस्थित 38 रचनाकारों को ‘काव्य सरिता सम्मान’ से भी नवाजा गया। सम्मान स्वरूप स्मृति चिह्न, अंगवस्त्र, पुस्तक की प्रति, और एक साहित्य संचय झोला भेंट किया गया।

मुख्य अतिथि डॉ. जाकिर अली रजनीश ने अपने संबोधन में शिक्षकों द्वारा की जा रही रचनात्मक गतिविधियों और शिक्षा को आनंदमय बनाने के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को समय के साथ बदलती शिक्षा प्रणाली में नवीन तकनीकों और तरीकों को अपनाकर अपने शिक्षण को और अधिक रुचिकर और प्रभावी बनाना चाहिए।

समारोह के अध्यक्ष बंधु कुशावर्ती ने भी शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा कि गिजुभाई बधेका के आदर्शों और स्वप्नों को साकार करने की दिशा में यह मंच महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि शिक्षक, अभिभावक, और समुदाय मिलकर विद्यालय को ‘आनंदघर’ बनाने के इस उद्देश्य को सफल बनाएंगे। 

इस अवसर पर ऋतु श्रीवास्तव द्वारा संपादित पत्रिका ‘बाल उमंग’ का भी विमोचन किया गया। समारोह में एक सौ से अधिक शिक्षक और रचनाकार शामिल हुए, जिन्होंने सभागार में लगी पुस्तक और पत्रिका प्रदर्शनी से शैक्षिक सामग्री की खरीदारी भी की।

समारोह का समापन विनीत कुमार मिश्रा द्वारा आभार प्रकट करने के साथ हुआ। इस कार्यक्रम की देख-रेख और व्यवस्था में विकास त्रिपाठी, वैशाली मिश्रा, अमित प्रजापति, प्रतीक्षा त्रिपाठी, राजेश कुमार, रुचि तोमर, अंशुमान राय, मंजू वर्मा, ज्योति जैन, विनीता सिकरौदिया, अनीता यादव, और कृष्ण बिहारी अग्निहोत्री सहित कई अन्य लोग सक्रिय रूप से शामिल रहे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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