चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भदरसा गैंगरेप मामले में डीएनए सैंपल को लेकर राजनीतिक संग्राम तेज हो गया है। आरोपी समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता मोईद खान के डीएनए सैंपल का पीड़िता से मेल न खाने पर सपा द्वारा प्रदेश की योगी सरकार को निशाने पर लिया जा रहा है। सपा का दावा है कि मोईद खान निर्दोष हैं और उन्हें केवल मुस्लिम होने के कारण फंसाया जा रहा है।
समाजवादी पार्टी के नेता, जैसे सांसद अवधेश प्रसाद और विधायक रविदास मेहरोत्रा, मोईद खान का बचाव कर रहे हैं। उनका कहना है कि डीएनए टेस्ट में साफ हो गया है कि मोईद खान का पीड़िता से कोई संबंध नहीं है, फिर भी उनके घर और संपत्ति को ध्वस्त कर दिया गया। उनका यह भी आरोप है कि योगी सरकार मुस्लिम नेताओं को निशाना बना रही है।
हालांकि, सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद शाही ने इन दावों को खारिज किया। उनका कहना है कि गैंगरेप के मामले में केवल एक आरोपी का डीएनए सैंपल पीड़िता के गर्भ से मेल खा सकता है। इस मामले में मोईद खान के नौकर राजू खान का डीएनए सैंपल मेल खाया है, जो इस बात का प्रमाण है कि अपराध हुआ है। शाही ने यह भी स्पष्ट किया कि डीएनए सैंपल का मेल न खाने का मतलब यह नहीं है कि मोईद खान निर्दोष हैं, क्योंकि पीड़िता का बयान और आरोप बरकरार हैं।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सपा के रुख पर कड़ा पलटवार किया है। बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ल का कहना है कि गैंगरेप में पीड़िता का बयान ही प्रमुख होता है, और अगर एक आरोपी का डीएनए सैंपल मेल खा जाता है, तो अपराध साबित माना जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा हमेशा अपराधियों का समर्थन करती है, और मोईद खान के मामले में भी ऐसा ही कर रही है। हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने भी मोईद खान को अपराधी बताया और कहा कि उनके संरक्षण में ही यह अपराध हुआ है।
अयोध्या गैंगरेप केस में सियासी घमासान इस सवाल को जन्म देता है कि क्या केवल डीएनए सैंपल का मेल न होना किसी आरोपी को निर्दोष साबित कर सकता है।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि गैंगरेप के मामलों में डीएनए एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है, लेकिन पीड़िता के बयान और अन्य सबूतों का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है।
Author: samachar
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