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November 25, 2024 3:33 am

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पितृ पक्ष में पितरों की स्मृति में 251 पौधे रोपित: सब इंस्पेक्टर अनूप मिश्रा और शिक्षक प्रदीप वर्मा की अनूठी पहल

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

सब इंस्पेक्टर अनूप मिश्रा और शिक्षक प्रदीप कुमार वर्मा ने पितृ पक्ष के अवसर पर एक अनोखी पहल की है, जिसमें उन्होंने पितरों की याद में 251 पौधे रोपित किए।

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना था। लखनऊ के आशियाना, सरोजनीनगर, एल्डेको, और वृंदावन जैसे क्षेत्रों में तीन दिवसीय अभियान “एक पौधा पितरों के नाम” के तहत पीपल, बरगद, नीम, और बेल जैसे 251 देव वृक्ष मंत्रोच्चार के साथ रोपे गए।

अनूप मिश्रा और प्रदीप वर्मा ने इस पहल को और भी सुदृढ़ बनाने के लिए प्रत्येक पौधे की जियो टैगिंग की है, ताकि समय-समय पर उनकी देखरेख की जा सके।

ग्रीन एंड क्लीन परिवार के माध्यम से इन पौधों की लोकेशन रिकॉर्ड की गई है और प्रत्येक तीन माह में उनका अपडेट लिया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पौधे सुरक्षित और संरक्षित हैं।

इस अभियान का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण है, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाना भी है।

इस पहल के तहत अनूप मिश्रा और प्रदीप वर्मा ने अब तक 650 विद्यालयों में लगभग 13,000 पौधे रोपित किए हैं। हर विद्यालय से 12 बच्चों की “ग्रीन ब्रिगेड” बनाई गई है, जो इन पौधों की देखभाल और संरक्षण का जिम्मा उठाए हुए हैं।

पौधों की जियो टैगिंग के माध्यम से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की गई है, और शिक्षकों को भी पौधों की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

सब इंस्पेक्टर अनूप मिश्रा ने बताया कि इस अभियान को पूरे प्रदेश में लागू करने की योजना बनाई जा रही है, जिसके तहत हर जिले में वालंटियर्स नियुक्त किए जाएंगे।

इसके साथ ही, राष्ट्रीय वृक्ष बरगद की गिनती करवाने के प्रयास भी शुरू किए गए हैं ताकि इन्हें संरक्षित किया जा सके।

पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध कर्म के माध्यम से पितरों को शांति और मुक्ति मिलने की मान्यता है, और इस मुहिम के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि तर्पण करते समय देव वृक्ष लगाना एक सार्थक शुरुआत हो सकती है।

यह पहल समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जो न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देती है, बल्कि पितरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करने का एक नया तरीका भी प्रस्तुत करती है।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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