टिक्कू आपचे की रिपोर्ट
महाराष्ट्र के बीड जिले के आष्टी के डोईठाणे गांव में जात पंचायत ने एक हैरान करने वाला और बेहद कठोर फैसला सुनाया है। यह मामला एक परिवार से जुड़ा है, जहां एक ससुर ने समाज की इजाजत के बिना प्रेम विवाह किया था, और उसकी सजा उसकी बहू को भुगतनी पड़ी।
घटना की पृष्ठभूमि
ससुर नरसु फुलमाली ने समाज की परंपराओं का उल्लंघन करते हुए बिना जात पंचायत या समाज से अनुमति लिए प्रेम विवाह कर लिया था। इस पर समाज के कुछ प्रमुखों ने पंचायत बुलाई और नरसु पर 2.50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। यह जुर्माना सालों तक नहीं भरा गया, जिससे समाज के लोग और पंच नाराज हो गए।
जात पंचायत का सख्त फैसला
21 सितंबर 2024 को, जात पंचायत ने एक बार फिर इस मामले को उठाया और बहू मालन फुलमाली, उनके पति शिवाजी, और उनके बच्चों को बुलाया गया। जात पंचायत में करीब 800-900 लोग मौजूद थे, और वहां बहू मालन और उनके परिवार से जुर्माना भरने की मांग की गई। जब उनके परिवार ने इसे चुकाने में असमर्थता जताई, तो पंचायत ने एक कठोर निर्णय लेते हुए पूरे परिवार को समाज से सात पीढ़ियों तक बहिष्कृत करने का आदेश सुना दिया।
समाज से बहिष्कार का मतलब
जात पंचायत का यह निर्णय इस परिवार के लिए एक सामाजिक बहिष्कार का आदेश है, जिसका अर्थ है कि यह परिवार अब समाज से किसी भी प्रकार के सामाजिक और धार्मिक संबंध नहीं रख सकेगा। इस बहिष्कार का असर उनकी सात पीढ़ियों तक रहेगा, यानी इस परिवार के सदस्य और उनकी आगामी संताने समाज में किसी भी प्रकार से स्वीकार्य नहीं होंगी।
पुलिस हस्तक्षेप
इस गंभीर मामले की जानकारी आष्टी पुलिस स्टेशन को मिली, जिसके बाद पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया और पंचायत के नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। पुलिस ने सामाजिक बहिष्कार अधिनियम 2016 की धारा 4, 5, 6 और भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इस घटना के कारण समाज के कठोर नियमों और जात पंचायत के अधिकारों पर फिर से बहस छिड़ गई है।
समाज पर सवाल
यह मामला जाति पंचायतों द्वारा समाज में बनाए गए कठोर नियमों और उनके अनुशासनात्मक अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इस प्रकार के निर्णय न केवल व्यक्ति के स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन करते हैं, बल्कि सामाजिक असमानताओं और भेदभाव को भी बढ़ावा देते हैं।
Author: samachar
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