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December 12, 2024 6:18 am

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96 बीघा भूमि  वक्फ बोर्ड के नाजायज कब्जे से मुक्त कराकर, भूमि ग्राम समाज के नाम दर्ज

24 पाठकों ने अब तक पढा

नौशाद अली की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले में हाल ही में एक बड़ा और जटिल भूमि विवाद सुलझाया गया, जिसमें 96 बीघा जमीन को प्रशासन ने वक्फ बोर्ड के कब्जे से मुक्त कर ग्राम समाज के नाम पर दर्ज कर दिया। यह विवाद दशकों पुराना था और कानूनी प्रक्रिया में कई मोड़ आया था। विवादित भूमि कड़ा धाम मंदिर के पास स्थित थी, जो हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है।

इस भूमि को लेकर मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग, विशेषकर स्थानीय निवासी सैयद नियाज अशरफ अली, दावा करते थे कि यह जमीन अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में ख्वाजा कड़क शाह के नाम पर वक्फ की गई थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह भूमि खिलजी के शासनकाल से चली आ रही है और इसे वक्फ संपत्ति के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए।

1945 में, नियाज अशरफ ने अदालत में मुकदमा दायर कर यह मांग की कि इस जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज किया जाए। हालाँकि, दीवानी अदालत ने लम्बी सुनवाई के बाद उनके दावे को खारिज कर दिया और इस जमीन को वक्फ संपत्ति मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद 1952 में, इस जमीन को आधिकारिक रूप से ग्राम समाज के नाम पर दर्ज कर दिया गया।

लगभग 24 वर्षों की शांति के बाद, 1974 में नियाज अशरफ ने फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाया, लेकिन एक बार फिर अदालत ने उनके दावे को खारिज कर दिया। इसके बाद, 1979 में तत्कालीन चकबंदी अधिकारी ने इस जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया। इस निर्णय के बाद, स्थानीय निवासियों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी।

हाईकोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम न्यायिक) को इस मामले की सुनवाई का आदेश दिया, और अंततः मजिस्ट्रेट ने वक्फ बोर्ड के दावे को निराधार पाया।

वक्फ बोर्ड इस मामले में कोई ठोस प्रमाण प्रस्तुत करने में असफल रहा, जिसके बाद 2 दिसंबर 2022 को एडीएम ने इस भूमि को ग्राम सभा के नाम पर दर्ज करने का आदेश दिया।

हालांकि, कानूनी प्रक्रियाओं और औपचारिकताओं को पूरा करने में प्रशासन को लगभग डेढ़ साल का समय लग गया, और अंततः 2024 में जमीन को वक्फ बोर्ड के कब्जे से मुक्त कर दिया गया।

इस मामले में जिला शासकीय अधिवक्ता शिवमूर्ति द्विवेदी ने शासन को चार प्रमुख सुझाव भेजे, जिनमें से अधिकांश को शासन ने स्वीकार कर लिया। यह निर्णय कानूनी, सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसने न केवल दशकों पुराने विवाद को सुलझाया, बल्कि न्यायपालिका की निष्पक्षता को भी स्थापित किया।

कड़ा धाम मंदिर, जो हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, इस क्षेत्र का सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र है। हर साल लाखों भक्त इस पवित्र स्थल पर आते हैं, और इस विवाद के निपटारे से स्थानीय समुदाय और मंदिर प्रशासन ने राहत की सांस ली है।

भूमि को ग्राम समाज के नाम पर दर्ज किए जाने के बाद अब यह विवाद समाप्त हो चुका है, और प्रशासन की इस सफलता को एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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