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December 2, 2024 11:01 pm

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आजमगढ़ महोत्सव ; अक्षरा सिंह के कार्यक्रम में तहसीलदार और भाजपाईयों में झड़प, खूब चले जूते चप्पल, पुलिस ने भांजे डंडे

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जगदम्बा उपाध्याय की रिपोर्ट

आज़मगढ़ महोत्सव के अंतिम दिन एक बड़ा हंगामा हो गया, जब भोजपुरी अभिनेत्री अक्षरा सिंह मंच पर पहुंचीं। जैसे ही उन्होंने गाना गाया, भीड़ का नियंत्रण टूट गया और लोग बैरिकेडिंग तोड़ते हुए मंच की ओर बढ़ने लगे। 

इस दौरान भीड़ ने सुरक्षाकर्मियों और वीआईपी सिटिंग की ओर जूते-चप्पल और पानी की बोतलें फेंकना शुरू कर दिया। 

स्थिति को बिगड़ता देख, पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। जैसे ही पुलिस ने लाठियां चलाईं, मीडिया के कैमरे चमकने लगे। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को खदेड़ा और कुछ लोगों को समझाकर शांत करने का प्रयास किया।

इस हंगामे से परेशान अक्षरा सिंह कार्यक्रम छोड़कर चली गईं। वहीं, एक और विवाद तब खड़ा हो गया जब कुर्सी पर बैठने को लेकर तहसीलदार और भाजपा नेता आपस में भिड़ गए। 

तहसीलदार भाजपा नेता को कुर्सी से हटाना चाह रहे थे, जिससे विवाद बढ़ गया। हालांकि, जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने दोनों पक्षों को समझाकर मामला शांत कराया।

आज़मगढ़ महोत्सव 18 सितंबर से शुरू हुआ था और राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज परिसर में 5 दिनों तक चला। 

अंतिम दिन, भोजपुरी अभिनेत्री अक्षरा सिंह का कार्यक्रम रात 11 बजे रखा गया था, जिसे देखने के लिए लगभग 20 गांवों के लोग जुटे थे। लेकिन, जैसे ही अक्षरा ने अपना गाना शुरू किया, भीड़ बेकाबू हो गई और पुलिस को स्थिति संभालने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा।

लोगों ने जिला प्रशासन पर सुरक्षा व्यवस्था की अनदेखी का आरोप लगाया। उनका कहना था कि अगर पहले से ही पर्याप्त सावधानी बरती जाती, तो इस तरह का बवाल नहीं होता। कार्यक्रम को बीच में ही छोड़कर जाने के बाद अक्षरा सिंह का यह हंगामा एक बड़ा मुद्दा बन गया।

इसके अलावा, महोत्सव के अंतिम दिन इंडिया गॉट टैलेंट फेम जीरो डिग्री डांस ग्रुप ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों का मनोरंजन किया और भोजपुरी सिंगर मनोहर सिंह ने लोक गीतों की प्रस्तुति दी। 

इससे पहले, वर्ष 2023 में जौनपुर में हुए गणेश उत्सव में भी अक्षरा सिंह के कार्यक्रम के दौरान ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी, जब उन्होंने ‘जान मारे लहंगा ई लखनऊ’ गाना गाया था और भीड़ ने जमकर उपद्रव मचाया था।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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