अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) की अप्रत्याशित एंट्री ने राजनीतिक समीकरणों में बदलाव का संकेत दिया है। नामांकन और नामांकन पत्रों की जांच पूरी होने के बाद, सपा ने घोषणा की कि उसने 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों में से 20 सीटों पर सपा का मैदान में उतरना महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे किसे लाभ या हानि होगी, यह बड़ा सवाल है।
सपा भाजपा के वोट बैंक पर असर नहीं डाल सकती
स्पष्ट है कि समाजवादी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वोट बैंक में सेंध लगाने में सक्षम नहीं है। सपा के जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के उम्मीदवारों के खिलाफ उतरने के फैसले पर कई राजनीतिक अटकलें लगाई जा रही हैं, खासकर जब अखिलेश यादव की पार्टी ‘इंडिया’ ब्लॉक का हिस्सा है।
‘इंडिया’ गठबंधन में दरार के संकेत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपा के इस कदम से ‘इंडिया’ ब्लॉक में दरार के संकेत मिलते हैं। यह ब्लॉक, जो लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने के उद्देश्य से बना था, विधानसभा चुनावों में विभाजित नजर आ रहा है।
जम्मू-कश्मीर में सपा का चुपचाप अपने उम्मीदवार उतारना और हरियाणा में कांग्रेस व आम आदमी पार्टी (आप) के बीच तालमेल न बन पाना, विपक्षी दलों के बीच बढ़ते फासले का प्रमाण है।
सपा का अन्य राज्यों में जनाधार बढ़ाने का प्रयास
सपा, जो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बाद सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी थी, अब उत्तर प्रदेश के बाहर भी अपना राजनीतिक आधार बढ़ाने का प्रयास कर रही है। हालांकि, भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की संभावना न के बराबर है। सपा अगर किसी पार्टी के वोट काट सकती है, तो वह ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियां होंगी।
सपा उम्मीदवारों का कांग्रेस के प्रत्याशियों से मुकाबला
सपा ने जिन 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें से केवल चार सीटों पर उनके उम्मीदवार कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे रहे हैं: बारामूला, उधमपुर पश्चिम, बांदीपोरा, और वगूरा क्रीरी। इन चारों सीटों पर तीसरे और अंतिम चरण में 1 अक्टूबर को मतदान होना है। खास बात यह है कि उधमपुर पश्चिम में सपा के साथ शिवसेना (उद्धव गुट) भी कांग्रेस के खिलाफ मैदान में है।
सपा और कांग्रेस के बीच गुप्त समझौते की संभावना
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपा और कांग्रेस के बीच एक गुप्त समझौता हो सकता है। सपा ने केवल चार प्रमुख सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जहां कांग्रेस की स्थिति मजबूत नहीं है। इससे चुनावी नतीजों पर खास असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह कांग्रेस के लिए बैकअप प्लान हो सकता है। इस समझौते का उद्देश्य नेशनल कांफ्रेंस को नुकसान पहुंचाना हो सकता है।
‘इंडिया’ गठबंधन के लिए सपा एक चुनौती
हालांकि, जम्मू-कश्मीर में समाजवादी पार्टी का कोई मजबूत जनाधार नहीं है। इसके बावजूद, सपा का कुछ सीटों पर उम्मीदवार उतारना चुनावी गणित को बिगाड़ सकता है। वह किसी भी गठबंधन के खिलाफ सीधे-सीधे लाभ नहीं उठा सकती, लेकिन कुछ वोट हासिल कर अन्य दलों को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में जरूर हो सकती है।
समाजवादी पार्टी की इस एंट्री ने जम्मू-कश्मीर चुनावी परिदृश्य में हलचल मचा दी है।
Author: samachar
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