अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने त्रिपुरा में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने देश की सुरक्षा और धर्म की रक्षा के मुद्दों पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि केवल सांस्कृतिक या धार्मिक प्रतीकों से काम नहीं चलेगा, बल्कि सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाना भी आवश्यक है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे श्रीकृष्ण के एक हाथ में मुरली और दूसरे हाथ में सुदर्शन चक्र है, वैसे ही धर्म और देश की सुरक्षा के लिए हमें मुरली के साथ-साथ सुदर्शन चक्र की भी आवश्यकता है।
योगी आदित्यनाथ ने त्रिपुरा के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित सिद्धेश्वरी मंदिर के उद्घाटन और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान यह बातें कही।
उन्होंने कहा कि इस मंदिर का उद्घाटन हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने 1994 में आश्रम की श्रृंखला को शुरू करने वाले संत शांतिकाली महाराज को याद किया और उनके द्वारा लिए गए संकल्पों को आगे बढ़ाने के लिए चितरंजन महाराज के योगदान की सराहना की।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार भी चितरंजन महाराज के कार्यों का सम्मान कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केवल सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण नहीं, बल्कि हमें उन शक्तियों को भी समाप्त करना होगा जो देश की सुरक्षा और शांति के लिए खतरा हैं।
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि देश को बांग्लादेश जैसी स्थिति से बचाने के लिए हमें विधर्मियों को मौका नहीं देना चाहिए और ऐसी शक्तियों को समाप्त करना होगा।
उन्होंने भाजपा की डबल इंजन सरकार द्वारा विकास और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए किए गए कार्यों का उल्लेख किया।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण और त्रिपुरा में मां त्रिपुर सुंदरी मंदिर का पुनरुद्धार इसके उदाहरण हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या, मथुरा और काशी सनातन हिंदू धर्म के तीन महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, जो देश की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का प्रतीक हैं।
इसके अलावा, योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस और पाकिस्तान पर भी कड़ा प्रहार किया।
उन्होंने पाकिस्तान को मानवता के लिए कैंसर बताया और कहा कि यह देश दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है।
उन्होंने कहा कि अगर आज़ादी के समय कांग्रेस नेतृत्व और जोगेंद्र नाथ मंडल मुस्लिम लीग की साजिश को विफल कर देते, तो पाकिस्तान का अस्तित्व ही नहीं होता।
उन्होंने यह भी कहा कि अब पाकिस्तान के कई क्षेत्र, जैसे पाक अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान, खुद को पाकिस्तान से अलग करना चाहते हैं और भारत में शामिल होने की इच्छा जता रहे हैं।
इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने शांति काली आश्रम की प्रशंसा की, जो त्रिपुरा में 24 मंदिरों का प्रबंधन करता है।
शांति काली आश्रम के प्रमुख महाराजा चित्त रंजन देबबर्मा हिंदू संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए लंबे समय से कार्य कर रहे हैं, और उन्हें पिछले साल पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."