चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
यह घटना उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले की है, जहां 28 अगस्त को दिन के समय भरत ज्वेलर्स पर एक डकैती हुई। इस डकैती में शामिल पांच डकैतों में से एक को मंगेश यादव बताया गया, जिसे पुलिस ने कुछ दिनों बाद एक कथित मुठभेड़ में मार गिराया। लेकिन यह कहानी इतनी सीधी नहीं है जितनी पुलिस ने बताई है। इस मामले में कई सवाल उठ रहे हैं, जिनकी वजह से पुलिस और एसटीएफ की कार्रवाई संदेह के घेरे में आ गई है।
पुलिस की कहानी
पुलिस का दावा है कि मंगेश यादव 28 अगस्त को सुल्तानपुर में भरत ज्वेलर्स की डकैती में शामिल था। पुलिस के अनुसार, उसने डकैती के बाद फरार होने की कोशिश की, और 5 सितंबर को एसटीएफ के साथ एक मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस की इस कहानी में बताया गया कि मंगेश और उसके साथियों ने लूट का माल बेचने की कोशिश की, जिसके दौरान वह पकड़ा गया और मुठभेड़ में मारा गया। लेकिन इस पूरे मामले में कई ऐसे तथ्य हैं जो पुलिस की इस कहानी पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
मंगेश की बेगुनाही के सबूत
मंगेश के परिवार और अन्य गवाहों का कहना है कि 28 अगस्त को डकैती के समय मंगेश सुल्तानपुर में नहीं, बल्कि जौनपुर में अपनी बहन के साथ था। उसकी बहन प्रिंसी का कहना है कि मंगेश सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक उसके स्कूल में उसके साथ था, जहां वह उसकी फीस जमा कराने गया था। इस बात के सबूत के तौर पर स्कूल में उसकी उपस्थिति दर्ज है, और परिवार का दावा है कि उस दिन मंगेश कहीं भी लूटपाट में शामिल नहीं था।
मुठभेड़ की विवादास्पद स्थिति
मंगेश की मुठभेड़ 5 सितंबर को तड़के सुबह 3 बजे के करीब हुई। लेकिन परिवार का कहना है कि मंगेश को पुलिस 2 सितंबर की रात ही उनके घर से ले गई थी, और तब से वह पुलिस की हिरासत में था। अगर यह सच है, तो मंगेश की कथित मुठभेड़ पुलिस की हिरासत में हुई, जो कि एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। परिवार का आरोप है कि मंगेश को पहले ही हिरासत में लेने के बाद फर्जी मुठभेड़ में मार डाला गया।
पुलिस और एसटीएफ की भूमिका पर सवाल
इस पूरे मामले में एक और विवादास्पद पहलू यह है कि मंगेश के अलावा चार अन्य लड़के भी एसटीएफ की हिरासत में हैं, जिनकी अब तक गिरफ्तारी नहीं दिखाई गई है। इन चार लड़कों में से दो, विमल और विवेक सिंह, वही विपिन सिंह के भाई हैं जिसे इस लूट का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। परिवारों का आरोप है कि इन लड़कों को पहले ही उठा लिया गया था, और पुलिस अब उन्हें फर्जी गिरफ्तारी के रूप में दिखाने की योजना बना रही है।
मंगेश की हत्या या मुठभेड़?
मंगेश यादव की कथित मुठभेड़ पर उठे सवाल और उसके परिवार के आरोप यह दर्शाते हैं कि यह मामला एक फर्जी मुठभेड़ का हो सकता है। पुलिस की कहानी में लगातार विरोधाभास सामने आ रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सच्चाई को दबाने की कोशिश की जा रही है। मंगेश के परिवार का दावा है कि उसे पहले ही पकड़ लिया गया था और फिर उसे मुठभेड़ का रूप देकर मार दिया गया।
यह घटना उत्तर प्रदेश पुलिस और एसटीएफ की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाती है। मंगेश यादव के मामले में तथ्यों का गहराई से विश्लेषण करने की जरूरत है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि यह मुठभेड़ असली थी या एक सुनियोजित हत्या।
पुलिस और एसटीएफ की भूमिका इस पूरे मामले में जांच के दायरे में आ गई है, और जब तक सभी तथ्य सामने नहीं आते, तब तक यह कहना मुश्किल है कि सच्चाई क्या है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."