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November 21, 2024 6:00 pm

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव : राजनीतिक रणनीतियाँ और धारा 370 का प्रभाव

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केवल कृष्ण पनगोत्रा की रिपोर्ट

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। ये चुनाव 18 सितंबर, 25 सितंबर, और 1 अक्टूबर को तीन चरणों में होंगे। वर्तमान में किसी भी राजनीतिक पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, और इसका मुख्य कारण यह है कि किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलने की संभावना नहीं दिख रही है।

2019 में जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था, जिसके बाद विधानसभा की सीटों की संख्या 87 से बढ़ाकर 90 कर दी गई। अब सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 44 से बढ़कर 46 हो गया है। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में 47 सीटें कश्मीर घाटी से और 43 सीटें जम्मू संभाग से हैं।

भाजपा ने इन विधानसभा चुनावों में 50 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया है, जो कि 10 साल में पहली बार हो रहे हैं। यह दावा भाजपा ने हालिया लोकसभा चुनावों में जम्मू संभाग की दोनों सीटों पर जीत को आधार बनाकर किया है। हालांकि, कश्मीर घाटी में भाजपा का जनाधार कमजोर है, जहां लोकसभा चुनावों में उसने कोई सीट नहीं जीती। कश्मीर घाटी की दो सीटों पर नेशनल कांफ्रेंस और एक सीट पर आवामी-इत्तिहाद पार्टी के इंजीनियर रशीद ने विजय प्राप्त की थी।

भाजपा की रणनीति यह है कि वह जम्मू संभाग से अधिक सीटें प्राप्त कर कश्मीर से छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेकर सरकार बना सके। भाजपा का मानना है कि उसे जम्मू संभाग से पर्याप्त सीटें मिलेंगी, लेकिन कश्मीर घाटी में वह छोटे दलों से सहयोग की उम्मीद कर रही है।

एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि धारा 370 की बहाली का मुद्दा उठाने वाला कौन सा नेता या पार्टी अपने वादों को निभाएगी, या फिर भाजपा धारा 370 के समर्थकों से सत्ता के लिए समझौता करेगी। धारा 370 के निरस्तीकरण को लेकर भाजपा ने इसे एक बड़ी राष्ट्रवादी उपलब्धि बताया है, जबकि नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और अन्य कश्मीर केंद्रित दल इसे विशेष अधिकारों का हरण मानते हैं।

हालांकि धारा 370 का चैप्टर समाप्त हो चुका है, लेकिन जम्मू-कश्मीर की राजनीति में यह मुद्दा लंबे समय तक चर्चा का विषय बना रहेगा। इन विधानसभा चुनावों के परिणाम जम्मू-कश्मीर में भाजपा, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के लिए ज़मीनी साख और छवि का बड़ा सवाल बन गए हैं।

लेखक केवल कृष्ण पनगोत्रा सेवा निवृत्त शिक्षक और नामचीन आलोचकों में एक हैं। जम्मू कश्मीर में निवास करते हैं।
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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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