चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
आगरा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर स्थित गांव सैमरा में एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ, जिसने 4 परिवारों की 17 जिंदगियों को लील लिया। इस घटना से गांव के लोग गहरे शोक में डूब गए हैं। यहां के लोग इस समय ग़म के सागर में डूबे हुए हैं और हर ओर मातम का माहौल है।
बेदरिया के घर के बुझे तीन चिराग
गांव के नसीब अली के सबसे बड़े बेटे बेदरिया, जो कि मजदूरी करते थे, ने इस हादसे में अपने दो बेटों छोटे अली और इरशाद, साथ ही अपने नाती अल्फेज को खो दिया।
बेदरिया के परिवार में उनकी दो बेटियां असगरी और शमां परवीन और तीन बेटे शान मोहम्मद, छोटे अली और इरशाद शामिल थे। शान मोहम्मद बाइक रिपेयरिंग करते थे, छोटे अली राज मिस्त्री थे, और इरशाद सामान बेचते थे।
हादसे के समय शान घर पर थे, जबकि उनके परिवार वाले चालीसवें पर गए हुए थे। हादसे में छोटे अली की पत्नी शबाना, बेटी सोना, परी और बेटा मोहम्मद अली घायल हुए हैं।
इरशाद की पत्नी आबिदा और बेटा आरिफ भी घायल हैं। शान मोहम्मद ही अब परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य हैं।
चुन्नाशी खां के परिवार की त्रासदी
चुन्नाशी खां, जो कि कई साल पहले आग से झुलस चुके थे और कामकाज नहीं कर सकते थे, ने इस हादसे में अपने बड़े बेटे हामिद उर्फ टल्ली, बहू तबस्सुम, नाती सूफियान और सोहेब, और बेटी खुशबू की जान गंवा दी।
चुन्नाशी के परिवार में उनकी पत्नी फूलबानो, बेटा अनीश और बेटी महक ही बची हैं। महक की शादी पहले हो चुकी है और वह अलीगढ़ में रहती है। अनीश और चुन्नाशी की पत्नी फूलबानो ने भी हादसे में अपने प्रियजनों को खो दिया है और दुख से बेहाल हैं।
मुन्ने खां के परिवार की स्थिति
मुन्ने खां, जो मजदूरी करते थे, ने अपनी बेटी गुलशन, नजमा पत्नी आबिद और उनकी बेटी आरजू की जान गंवा दी। मुन्ने खां की तीन बेटियां थीं, जिनमें से नजमा चालीसवें के लिए दो दिन पहले ही पिता के घर आई थी। घर में सबमर्सिबल लगवाने के दौरान हादसा हो गया। मुन्ने की पत्नी जमीला, जो हाथ में फ्रैक्चर के कारण घर पर थीं, और अन्य परिवार के सदस्य भी हादसे का शिकार हो गए।
नूर मोहम्मद के परिवार की दुर्दशा
नूर मोहम्मद के छोटे बेटे भोला उर्फ मनीष और बेटी मुस्कान की भी मौत हो गई। नूर मोहम्मद की पत्नी अमीना के भाई की मौत के कारण नूर मोहम्मद का परिवार हादसे के दिन घर पर ही रुका हुआ था। नूर मोहम्मद की बेटी रुकसार, शेहरून, बहू आफरीन और नाती अयान इस हादसे में घायल हुए हैं।
गांव सैमरा में बचे परिवार
गांव सैमरा में नसीब अली, आसिफ, और सुबहानी तीन भाई थे। इनमें से नसीब और आसिफ के परिवार अभी भी गांव में ही रह रहे हैं, जबकि सुबहानी अपने ससुराल में चले गए हैं। नसीब अली के पांच बेटे थे: बेदरिया, लतीफा, मुन्ना, चुन्ने खां और नूर मोहम्मद।
इस दर्दनाक घटना ने गांव सैमरा के लोगों को गहरे शोक में डुबो दिया है और उनके जीवन को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."