नौशाद अली की रिपोर्ट
संभल, हाल ही में एक विवादित मामले में भाजपा नेता प्रेमपाल सिंह की साजिश का खुलासा हुआ है, जिसमें श्यामलाल और हेमंत नामक दो बेगुनाह लोगों को झूठे आरोप में जेल भेजा गया। इन दोनों ने अपनी जेल यात्रा और पुलिस की बर्बरता की कहानी बयां की है।
मामले की शुरुआत और पुलिस की कार्रवाई
27 जुलाई की रात को, श्यामलाल और उनके साथी दिलीप और हेमंत को पांच पुलिसकर्मियों द्वारा उनके घरों से उठाया गया। पुलिसकर्मी उन्हें कोतवाली ले गए और वहां उनकी पिटाई शुरू कर दी। पुलिस का कहना था कि श्यामलाल और उनके साथियों ने भाजपा नेता प्रेमपाल सिंह को गोली मारी है, और उनसे यह कबूल कराने का प्रयास किया गया।
पुलिस ने दो रात तक इन लोगों की बर्बर पिटाई की, लेकिन जब उन्होंने गोली मारने की बात कबूल नहीं की, तो उन्हें झूठे मुकदमे में जेल भेज दिया गया। श्यामलाल ने बताया कि प्रेमपाल सिंह से उनकी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी और वह मोहल्ले में राशन डीलर हैं।
प्रेमपाल सिंह की साजिश
जानकारी के अनुसार, प्रेमपाल सिंह ने श्यामलाल और उनके साथियों को झूठे मामले में फंसाने की साजिश की। दिलीप और हेमंत की बदायूं के गांव परौली में 11 बीघा जमीन थी, जिसे प्रेमपाल सिंह अपने नाम कराने का दबाव बना रहा था। जब वे जमीन बेचने के लिए तैयार नहीं हुए, तो प्रेमपाल ने एक झूठी कहानी रची कि उनके ऊपर 10 लाख रुपये का उधार है।
जमीन के विवाद की पृष्ठभूमि
त्रिवेणी देवी की पुश्तैनी चार बीघा जमीन शहर से लगी हुई थी, जिसे उन्होंने 60 लाख रुपये में बेचा और बदायूं के गांव परौली में 11 बीघा जमीन 53 लाख रुपये में खरीदी। इस जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाने के कारण त्रिवेणी देवी और उनके बेटे परेशान थे। प्रेमपाल सिंह ने पहले एक लाख रुपये एडवांस दिया और बाकी का भुगतान बाद में करने का आश्वासन दिया, लेकिन जब समय पूरा होने के बाद भी भुगतान नहीं हुआ, तो उसने गोली मारने की झूठी कहानी रची।
पुलिस की निष्क्रियता और अन्य आरोप
त्रिवेणी देवी ने अपने बेटों की बेगुनाही को साबित करने के लिए संभल, मुरादाबाद और बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के पास गईं, लेकिन कहीं भी उनकी बात नहीं सुनी गई। अंततः डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने उनकी शिकायत पर संज्ञान लिया और निष्पक्ष जांच का आदेश दिया।
पुलिस की जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि श्यामलाल, हेमंत और दिलीप को साजिश के तहत फंसाया गया था। प्रेमपाल सिंह ने अपनी कमर में घाव कराने के लिए एक निजी अस्पताल के कंपाउंडर आमिर को भेजा, जिसने घटनास्थल पर जाकर घाव किया और गोली प्लांट कर दी। यह सब पुलिस और चिकित्सकों की नजरों से बच गया और बेगुनाह लोगों को दोषी बना दिया गया।
अंतिम परिणाम
अंततः, प्रेमपाल सिंह और उनके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। पुलिस ने दिलीप के कब्जे से एक तमंचा बरामद किया, जिसके आधार पर अलग से कार्रवाई की गई।
यह मामला पुलिस की लापरवाही और साजिश की एक गंभीर मिसाल पेश करता है, जिसमें निर्दोष लोगों को अनावश्यक कष्ट सहना पड़ा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."