चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश में बीहड़ों के जंगल…अगर जानवरों के लिए सुरक्षित पनाहगाह हैं, तो शिकारियों के लिए शिकार का एक खुला मैदान भी।
इन जंगलों से अक्सर जानवरों के शिकार की खबरें आती रहती थीं। हड्डियों, मांस, बाल और दूसरी चीजों के लिए मासूम जानवरों को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया जाता था।
ये एक ऐसा सिलसिला था, जो लगातार जारी थी। इसी बीच खबर मिलती है कि एक गांव के भीतर पांच शिकारी छिपे हुए हैं। इन शिकारियों के पास ऐसा सामान मिलता है, जिसे देखकर इस बात का सुराग मिल जाता है कि इस नेटवर्क के तार काफी दूर तक फैले हुए हैं।
इसके बाद एक ऑपरेशन शुरू होता है और नेटवर्क के सरगना को यूपी के कानपुर से गिरफ्तार कर लिया जाता है।
ये कहानी है उस ऑपरेशन की, जिसे आईएफएस ऑफिसर प्रतिभा अहिरवार ने अंजाम दिया। 2017 बैच की आईएफएस ऑफिसर प्रतिभा अहिरवार इस समय मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में माधव राष्ट्रीय उद्यान की डायरेक्टर हैं।
प्रतिभा को जब पांच शिकारियों के पकड़े जाने की खबर मिली, तो वो तुरंत अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंची। इन शिकारियों के पास से पैंगोलिन के शल्क, नेवले के बाल, लकड़बग्घे के बाल और सियार का मांस बरामद किया गया। इस बरामदगी को देखकर प्रतिभा ने अंदाजा लगा लिया कि वन्यजीवों का कारोबार करने वाला ये एक बहुत बड़ा नेटवर्क है।
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कई राज्यों तक फैली थीं नेटवर्क की जड़ें
प्रतिभा ने मामले की कमान अपने हाथ में ली और सुराग जुटाने शुरू कर दिए।
इंडियन मास्टरमाइंड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शिकारियों से पूछताछ और दूसरे सबूतों के जरिए प्रतिभा को पता चला कि ये मामला बेहद संगीन है।
जिस नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए वो जुटी हुईं थी, उसकी जड़ें दूर-दूर तक कई जिलों और राज्यों में फैली हुईं थी। ये एक ऐसा जाल था, जिसमें जंगली जानवरों के शिकार से भारी मुनाफा कमाया जा रहा था। प्रतिभा बताती हैं कि शुरुआती पूछताछ से ही हमें पता चल गया था कि हम किसी बड़े मिशन पर काम करने जा रहे हैं।
कानपुर में मिले सरगना के तार
मामले की तहकीकात के दौरान एक ऐसे आदमी का नाम सामने आया, जो इस पूरे नेटवर्क का सरगना था। ये शख्स यूपी के कानपुर में रहता था और वन्यजीवों का एक बड़ा व्यापारी थी।
तफ्तीश में ये भी पता चला कि ये शख्स मध्य प्रदेश के जंगलों में इससे पहले हुए बाघों के शिकार में शामिल रहा है। प्रतिभा समझ गई कि अगर इसे पकड़ लिया जाए तो शिकारियों का एक बहुत बड़ा नेटवर्क ध्वस्त हो जाएगा। लेकिन, कानपुर में इस व्यापारी को गिरफ्तार करने का मिशन खतरे से खाली नहीं था। जिस इलाके में उसका घर था, वो काफी घना था और वहां एक ऑपरेशन को अंजाम देना किसी चुनौती से कम नहीं था।
अंडरकवर ऑपरेशन और मिशन कामयाब
एक और बड़ी चुनौती ये थी कि उस समय चुनाव चल रहे थे और पूरे जिले में धारा 144 लागू थी। हालांकि, प्रतिभा ठान चुकी थीं कि वो इस नेटवर्क के सरगना को गिरफ्तार करके ही दम लेंगी। यहां से एक अंडरकवर ऑपरेशन शुरू किया गया।
टीम के हर मेंबर को अलग-अलग टास्क सौंपे गए। और बेहद खुफिया तरीके से अंजाम दिए इस ऑपरेशन के तहत कानपुर के उस व्यापारी को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रतिभा अपनी टीम के साथ उसे पकड़कर मध्य प्रदेश लेकर आईं और मामले में पूछताछ शुरू हुई।
सबूत जुटाकर दिलाई दोषियों को सजा
इस शख्स के गिरफ्तारी के बावजूद प्रतिभा का मिशन अभी खत्म नहीं हुआ था। उनका अगल कदम था, उसे सजा दिलाना। उनकी टीम ने एक बार फिर सबूत इकट्ठा करने शुरू किए।
शिकारियों के बीच की कड़ियों को जोड़ते हुए मामले को मजबूत बनाया गया। और इसके बाद, तय वक्त के भीतर मामले में चार्जशीट फाइल कर दी गई। कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई।
प्रतिभा और उनकी टीम के लिए ये एक बड़ी जीत थी। इस जीत ने शिकारियों और तस्करों को साफ संदेश दे दिया कि जानवरों के लिए संरक्षित क्षेत्रों में शिकार जैसी अवैध गतिविधियों को अंजाम देने वालों को सलाखों के पीछे जाना होगा।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."