संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
गोरखपुर। नेपाल के एक दुखद बस हादसे में 27 तीर्थयात्रियों और चालक व खलासी की मौत के बाद, महाराष्ट्र से आए तीर्थयात्री शनिवार देर रात गोरखपुर से भुसावल के लिए रवाना किए गए। ये तीर्थयात्री नेपाल से बस हादसे में अपने प्रियजनों को खोने के बाद गहरे सदमे में थे। सरकार द्वारा राहत और सहायता के प्रयासों से उन्हें वापस भेजने की व्यवस्था की गई।
यात्रियों की सुरक्षा और सहूलियत के लिए की गई विशेष व्यवस्था
यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रेन को प्लेटफार्म 9 की बजाय प्लेटफार्म 2 से रवाना किया गया। इस दौरान उन्हें किसी तरह की असुविधा न हो, इसके लिए रास्ते में निशुल्क खान-पान की व्यवस्था भी की गई थी।
महाराष्ट्र से आए 48 यात्री गोरखपुर पहुंचे, जहां मेडिकल टीम ने उनका परीक्षण किया और आवश्यक दवाइयां प्रदान कीं। भोजन के बाद सभी यात्रियों को आरक्षित थर्ड एसी के अतिरिक्त कोच में बैठाया गया।
हादसे की दर्दनाक तस्वीरें और परिवारों का दुख
इस हादसे में कई परिवारों ने अपने सभी सदस्यों को खो दिया। सूरज सरोद ने बताया कि एक परिवार में अब कोई भी सदस्य जीवित नहीं बचा है, जो मृतकों को अंतिम संस्कार दे सके। इस दुर्घटना में गणेश वरले और उनके परिवार के अन्य सदस्यों की भी मौत हो गई। अन्य मृतकों में वारंगांव के नगर अध्यक्ष सुधाकर जावड़े और उनके परिवार के सदस्यों का नाम शामिल है।
शवों को मिलिट्री के जहाज से भेजा गया
पीड़ित परिवारों ने भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के राहत प्रयासों की सराहना की। सरकार की सक्रियता के कारण उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन वे जल्द से जल्द अपने घर लौटना चाहते हैं, ताकि शवों की अंतिम यात्रा में शामिल हो सकें। शवों को सेना के जहाज से महाराष्ट्र भेजा गया।
खलासी रामजीत और उनके परिवार की दर्दनाक कहानी
कुशीनगर के रामजीत, जो इस हादसे में खलासी थे, अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। उनकी पहचान होने के बाद उनके परिवार को उनके निधन की सूचना दी गई, जिससे परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। रामजीत के पिता खेती-किसानी करते थे, और उनके निधन की खबर से परिवार और रिश्तेदारों में शोक की लहर फैल गई।
चालक मुर्तजा और उनके बेटे की दुखभरी कहानी
इस हादसे में चालक मुर्तजा की भी मौत हो गई। उनके बेटे इब्राहिम, जो खुद भी एक ड्राइवर हैं, अपनी आँखों के सामने अपने पिता की बस को खाई में गिरते हुए देखा। इब्राहिम ने बताया कि हादसे के समय वह अपने पिता के साथ ही यात्रा कर रहे थे। यह हादसा उनके लिए एक गहरे सदमे के रूप में आया है, जिससे उबरना उनके लिए मुश्किल होगा।
शवों का अंतिम संस्कार और प्रशासन की भूमिका
बस हादसे में मारे गए यात्रियों और चालक-खलासी के शवों को नेपाल से भारत लाया गया। मुर्तजा और रामजीत के शवों को भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया।
शवों को उनके गृहनगर पहुंचाने के लिए प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की, ताकि शवों को बिना किसी दिक्कत के उनके घर तक पहुंचाया जा सके। पुलिस ने एंबुलेंस को सुरक्षित और तेज़ी से गंतव्य तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।
इस प्रकार, यह हादसा उन परिवारों के लिए एक गहरी चोट है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। लेकिन सरकार और प्रशासन की ओर से की गई त्वरित सहायता और समर्थन ने इस कठिन समय में उनकी कुछ मदद की है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."