टिक्कू आपचे की रिपोर्ट
पहले हॉस्पिटल का सेमिनार हॉल और अब स्कूल का आंगन। कुछ भी तो नहीं बदला। कोलकाता में डॉक्टर बिटिया के संग हुए जघन्य रेप-मर्डर कांड से दिल दहला हुआ था। शहर जल रहा था। बिटिया के लिए न्याय मांग रहा था कि बदलापुर में दो मासूमों के साथ छेड़छाड़ की घटना ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया।
बदलापुर में पब्लिक सड़कों पर उतर आई है। ट्रेनें रोक दी गई हैं और लोगों के मन में जबरदस्त आक्रोश है। सवाल यही है कि देश में बिटिया आखिर कहां महफूज है? आखिर कौन-सी जगहें हैं जहां बिटिया पढ़ सकें। खेल सकें। डॉक्टर बन सके। अपने सपनों को पंख लगा सकें, उन्हें पूरा कर सकें। आखिर कब मां भारती की बच्चियों पर अन्याय बंद होगा?
इन सवालों के बीच आपको बताते हैं कि महाराष्ट्र के बदलापुर में आखिर हुआ क्या है, जिसने हर बिटिया के मां-बाप को परेशान कर दिया है।
बदलापुर, महाराष्ट्र में हुई हालिया घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। यह घटना उस समय सुर्खियों में आई जब दो मासूम चार साल की बच्चियों के साथ स्कूल में यौन शोषण का मामला सामने आया। इस भयावह घटना का खुलासा तब हुआ जब एक बच्ची ने अपने दादा से निजी अंगों में दर्द की शिकायत की। इसके बाद, माता-पिता ने दूसरी बच्ची के माता-पिता से बात की तो पता चला कि वह बच्ची भी स्कूल जाने से डर रही है।
जब माता-पिता दोनों बच्चियों को डॉक्टर के पास लेकर गए, तो यह साफ हो गया कि उनके साथ यौन शोषण हुआ है। इस खबर ने माता-पिता को तोड़कर रख दिया और वे तुरंत पुलिस थाने पहुंचे। लेकिन यहाँ भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
पुलिस ने तत्काल शिकायत दर्ज करने के बजाय पहले मामले की जांच करने की बात कही और बच्चियों के माता-पिता को घंटों थाने में बिठाए रखा।
पुलिस ने स्कूल में जांच टीम भेजी, लेकिन वहाँ पता चला कि पिछले कुछ दिनों से सीसीटीवी कैमरे खराब थे, जिससे मामले की जांच और जटिल हो गई।
मामला तब और गंभीर हो गया जब जिला महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने इसमें हस्तक्षेप किया और पुलिस ने आधी रात को पॉक्सो एक्ट के तहत शिकायत दर्ज की।
इसके बाद शनिवार को पुलिस ने दोनों बच्चियों का मेडिकल टेस्ट करवाया और शाम को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी अक्षय शिंदे, जो स्कूल में टॉयलेट क्लीनर के रूप में काम करता था, ने इस जघन्य अपराध को स्कूल के शौचालय में अंजाम दिया था। यह व्यक्ति महज 23 साल का है और 1 अगस्त को ही कॉन्ट्रैक्ट पर स्कूल में काम पर रखा गया था।
इस पूरे मामले में पुलिस और स्कूल प्रशासन की लापरवाही ने लोगों में आक्रोश भर दिया है। पुलिस द्वारा मामले में देरी करने पर बदलापुर ईस्ट थाने के इंस्पेक्टर का तबादला कर दिया गया है और स्कूल प्रशासन ने भी अपने कई कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है।
ठेकेदार, जिसके जरिए अक्षय शिंदे की नियुक्ति हुई थी, का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया गया है और उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। इसके साथ ही, स्कूल के प्रिंसिपल, बच्चियों के क्लास टीचर, और उन्हें शौचालय तक ले जाने वाली महिला कर्मचारी को भी हटा दिया गया है।
इस घटना के बाद बदलापुर में गुस्साए लोगों ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया और ट्रेनें रोक दीं। वे दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा, यहाँ तक कि फांसी की मांग कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि अगर स्कूल जैसे सुरक्षित माने जाने वाले स्थान पर भी बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं, तो उन्हें कहाँ पढ़ने भेजा जाए?
प्रदर्शनकारियों ने स्कूल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और कहा कि दोषी को फांसी की सजा मिलनी चाहिए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."