नौशाद अली की रिपोर्ट
देश में सोमवार को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन बहन अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र के तौर पर राखी बांधेंगी। भाई अपनी बहनों को उनकी रक्षा के वचन के साथ उन्हें उपहार भी देंगे।
लेकिन उत्तर प्रदेश का एक गांव ऐसा भी है जहां इस पवित्र त्योहार को नहीं मनाया जाता। इसकी वजह बहन के द्वारा भाई से मांगा गया उपहार है।
यूपी के संभल जिले का गांव बेनीपुर के भाइयों की कलाई हर वर्ष रक्षाबंधन पर सूनी रहती है। गांव में इस इस दिन राखी का त्यौहार नहीं मनाया जाता। इसके पीछे 300 साल पहले एक बहन का भाइयों से राखी बांधने के बाद मांगा गया उपहार बताया जाता है। गांव में यादव समाज के परिवार रहते हैं। हर वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार आता है लेकिन गांव में कोई भी इसका जिक्र तक नहीं करता।
गांव में थे यादव और ठाकुर परिवार
संभल के गांव बेनीपुर चक के लोग 300 साल पहले पलायन करके इस गांव में आए थे। गांव के ग्रामीणों ने मुताबिक, उनके पूर्वज पहले यूपी के अलीगढ़ जिले के अतरौली थाना क्षेत्र के गांव सेमरी में रहते थे। गांव में यादव और ठाकुर समाज के परिवार बसे हुए थे। दोनों परिवारों में अपार प्रेम था। यादव परिवार की लड़कियां ठाकुर परिवार के लड़कों और ठाकुर परिवार की लड़कियां यादव परिवार के लड़कों को रक्षाबंधन के पर्व पर राखी बांधा करती थीं।
बहनों ने मांग लिए उपहार
एक बार रक्षाबंधन त्योहार पर यादव परिवार की लड़की ने अपने ठाकुर भाई से राखी की नेग के बदले घोड़ी मांग ली। भाई ने अपनी बहन की मांग को पूरा कर दिया। ग्रामीणों ने बताया कि उसके अगले साल जब फिर से रक्षाबंधन का पर्व आया तो इस बार पर ठाकुर परिवार की लड़की ने अपने यादव भाई से पूरे का पूरा गांव ही मांग लिया। बहन के नेग को पूरा करने के लिए सेमरी गांव मे रहने वाले यादव परिवार के लोगों ने गांव की अपनी सारी संपत्ति बहन को उपहार में दे दी और गांव छोड़ दिया।
300 साल से कलाइयां सूनी
वह सभी संभल जिले के कई गांवों मे आकर बस गए। उस दिन से आज तक कई पीढ़ियां गुजरने के बाद भी यादव परिवार के लोग रक्षाबंधन नही मनाते। उनका मानना है कि कहीं फिर कोई बहन उनसे उनकी जागीर मांगकर उन्हें घर से बेघर न कर दे। बेनीपुर चक गांव के अलावा भी कई गांवों में बसे यादव परिवार रक्षाबंधन का त्योहार नही मानते हैं।
दुल्हनों को भी निभाई पड़ती है परंपरा
गांव के जबर सिंह ने बताया कि उनके गांव में दूसरे गांव की शादी कर जो दुल्हन आती है, वह भी अपने घर रक्षाबंधन मनाने नहीं जाती। उनका कहना है कि वह अपने पूर्वजों की परंपरा को निभाते आ रहे हैं। अब वो चाहे इस गांव की बेटी हो या दुल्हन यह परंपरा सभी को निभानी पड़ती है।
गांव की महिलाओं का कहना है कि हर रक्षाबंधन पर उनका अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने की ख्वाहिश होती है। लेकिन वह वर्षों से बुजुर्गों की चली आ रही परंपरा से बंधी हुई हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."