सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के मामले में बुधवार का दिन काफी महत्वपूर्ण रहा। 14 और 15 अगस्त की रात को महिला संगठनों और सिविल सोसाइटी के लोगों ने ‘रीक्लेम द नाइट’ के नारे के साथ महिलाओं को सड़कों पर उतरने का आह्वान किया था।
इसी बीच, आरजी कर अस्पताल में डॉक्टरों के चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान मंच महिला छात्रों को सौंप दिया गया। डॉक्टर विशाखा भी उस मंच पर मौजूद थीं। बीबीसी से बातचीत में उन्होंने उस भयावह रात का वर्णन किया, जब एक अज्ञात भीड़ ने धरनास्थल पर हमला कर दिया। देर रात तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं और माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया।
विशाखा ने बताया कि उन्हें और उनके साथियों को श्यामबाज़ार इलाके में जाना था, जहाँ कोलकाता के सभी डॉक्टर, खासतौर पर महिला डॉक्टर, रात को मोमबत्तियां लेकर मार्च करने वाले थे। जब वे मंच पर थे, तभी अस्पताल के मुख्य गेट के बाहर कुछ लोग इकट्ठा होने लगे। धीरे-धीरे भीड़ बढ़ने लगी और तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई। इस दौरान, साथी डॉक्टरों ने सभी महिला डॉक्टरों को मंच छोड़ने और सुरक्षित स्थान पर जाने का सुझाव दिया।
विशाखा ने बताया कि मंच पर बैठी सभी छात्राएं भागकर अपने हॉस्टलों की ओर चली गईं। तभी उन्हें बाहर से हंगामे और तोड़फोड़ की आवाजें सुनाई देने लगीं। इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनके जवाब अभी भी मिलना बाकी हैं।
विशाखा उस रात के डरावने अनुभव को याद करती हैं, जब वे अस्पताल के एक सुरक्षित स्थान पर स्थित हॉल में घुस गए और खुद को अंदर से बंद कर लिया। उन्होंने बताया कि उस समय सभी लोग बेहद डरे हुए थे। रातभर वे जागते रहे और सुबह होते ही बाहर निकले।
इस मामले में कोलकाता पुलिस ने अब तक 19 लोगों को गिरफ्तार किया है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हमलावर कौन थे और उनके धरनास्थल पर आने का मकसद क्या था। पुलिस इस मामले में अब तक पूरी जानकारी नहीं दे पाई है।
इस घटना के कुछ सवाल अब भी बने हुए हैं:
- अस्पताल पर हमला करने वाले लोग कौन थे?
- हमलावर भीड़ कहाँ से आई और इसमें शामिल लोग कौन थे?
पुलिस अब तक यह पता लगाने में नाकाम रही है कि हमलावर कौन थे और वे कहाँ से आए थे। लाठी-डंडों से लैस इस उन्मादी भीड़ ने प्रदर्शन स्थल को ध्वस्त करने के साथ-साथ अस्पताल के इमर्जेंसी वार्ड को भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया।
अस्पताल के डॉक्टरों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह सब एक घंटे से भी अधिक समय तक चलता रहा। इस बीच, वहाँ तैनात पुलिस के साथ भी भीड़ की झड़प हुई, जिसमें पुलिस को आंसू गैस के गोले भी दागने पड़े।
गुरुवार को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस झड़प में 15 से अधिक पुलिसकर्मी और अधिकारी घायल हुए हैं, जिनमें एक डीसीपी रैंक के अफसर भी शामिल हैं।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टर की रेप के बाद हत्या के मामले ने एक बार फिर शहर को हिला दिया है। इस घटना से जुड़े कई सवाल उठ रहे हैं, जिनके जवाब अब तक नहीं मिले हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि अस्पताल के मुख्य द्वार पर लगे सीसीटीवी कैमरों में से कुछ को नुकसान पहुंचाया गया था, लेकिन जो कैमरे काम कर रहे थे, उनकी मदद से कुछ लोगों की पहचान की गई है, और 12 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
हालांकि, यह जानकारी देने के बावजूद पुलिस ने यह बताने से इनकार कर दिया कि ये लोग कौन हैं और उनका किसी संगठन या राजनीतिक दल से कोई संबंध है या नहीं।
पुलिस का कहना है कि जल्द ही और गिरफ्तारियां की जाएंगी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कर रही है कि इतनी बड़ी भीड़ अचानक कहां से आई और कैसे पहुंची।
प्रत्यक्षदर्शियों के दावों के मुताबिक, कुछ लोग कहते हैं कि यह भीड़ ट्रकों में भरकर लाई गई थी, जबकि अस्पताल के एक कर्मचारी का कहना है कि यह भीड़ आसपास के इलाकों से आई थी। लेकिन पुलिस ने इन दावों की कोई पुष्टि नहीं की है।
रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि जिस समय भीड़ अस्पताल में घुसी, उस समय वहां सुरक्षाकर्मियों की संख्या बहुत कम थी, जिससे भीड़ आसानी से अंदर घुस गई।
घटना के अगले दिन यानी गुरुवार को अस्पताल को एक छावनी में बदल दिया गया, जब सैकड़ों हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों को वहां तैनात कर दिया गया और कई आईपीएस अधिकारियों को भी भेजा गया।
रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता, डॉक्टर हसन मुश्ताक़ ने बताया कि जब भीड़ मुख्य गेट पर जुटी थी, तब प्रदर्शनकारी छात्रों ने सोचा कि यह भीड़ उनके आंदोलन के समर्थन में आई है, क्योंकि वे ‘वी वांट जस्टिस’ (हमें इंसाफ़ चाहिए) के नारे लगा रहे थे। लगभग एक से डेढ़ घंटे तक भीड़ मुख्य गेट के सामने जमा रही, लेकिन पुलिस ने उस समय हस्तक्षेप नहीं किया और फिर हालात बिगड़ गए।
इस घटना के बाद अस्पताल में पढ़ने वाली डॉक्टर रोमा बीरा के घरवाले बहुत चिंतित हो गए हैं। उन्होंने बताया कि उनके घर से लगातार फोन आ रहे हैं और उनके परिजन डरे हुए हैं, और वो खुद भी बेहद चिंतित हैं।
इस मामले ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में भी उथल-पुथल मचा दी है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि इस हमले में बीजेपी और वामपंथी दलों के समर्थक शामिल थे।
वहीं, विधानसभा में बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि इस हमले में तृणमूल कांग्रेस के गुंडे शामिल थे। इस मुद्दे पर राजनीतिक विवाद और गरमा गया जब सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर फॉर इंडिया ने शुक्रवार को 12 घंटे के बंद का आह्वान किया, जिसे बीजेपी ने भी समर्थन दिया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी शुक्रवार को कोलकाता में ‘घटना के विरोध’ में रैली निकाली, हालांकि वे खुद राज्य की मुखिया हैं और इस घटना के लिए सबसे ज्यादा सवाल उनके प्रशासन से ही पूछे जा रहे हैं।
इन सभी घटनाओं से स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तनाव चरम पर है, और यह घटनाक्रम आने वाले दिनों में एक नए राजनीतिक संघर्ष की ओर संकेत कर रहा है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."