मोहन द्विवेदी
विनेश! तुम ही भारत की ‘गोल्ड’ हो, गौरव और प्रेरणा हो। तुम वाकई योद्धा हो, कुश्ती का आक्रामक जज्बा हो। तुम ही देश का सम्मान और सरताज हो। क्या हुआ, यदि तुम ओलंपिक पदक हासिल नहीं कर पाईं?
स्वर्ण और रजत पदक तो स्मृति-चिह्न और खेल के प्रतीक हैं। तुम तो ‘चैम्पियन ऑफ चैम्पियंस’ हो। देश के प्रधानमंत्री ने भी इन्हीं शब्दों में तुम्हारे हुनर को बयां किया है। वह भी पीडि़त और व्यथित हैं।
तुम असली चैम्पियन हो, क्योंकि तुमने चार बार की विश्व चैम्पियन एवं टोक्यो ओलंपिक चैम्पियन यूई सुसाकी को चित्त किया है। वह 82 मुकाबलों से अजेय खिलाड़ी थीं।
तुमने एक ही दिन में तीन कुश्तियां लड़ीं और यूक्रेन, क्यूबा की महिला पहलवानों को भी पटखनी देकर फाइनल तक पहुंचीं। विनेश! तुम बेमिसाल हो और अभूतपूर्व पहलवान हो, जो मुकाबले के फाइनल दौर में पहुंचीं। तुम्हारी उपलब्धियां ऐतिहासिक हैं और दुनिया के मानस पर अंकित हैं। तुम वाकई अद्वितीय हो।
बेशक ओलंपिक खेलों का महाकुंभ है, लेकिन उसके नियम अमानवीय और अतार्किक हैं। यदि विनेश फोगाट का वजन 50 किलोग्राम से 100 ग्राम अधिक हो गया था, तो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति उसे ‘फाइनल कुश्ती’ के अयोग्य करार दे सकती थी।
बेशक नियम तो नियम हैं और भारत भी उनके उल्लंघन का पक्षधर नहीं है, लेकिन विनेश ने तय वजन की परिधि में रहकर ही तीन कुश्तियां लड़ीं और जीतीं। इन उपलब्धियों को कैसे छीना जा सकता है? उनके सम्मानस्वरूप रजत पदक से भी वंचित कैसे किया जा सकता है? यह तो एक किस्म की तानाशाही हुई। क्या ओलंपिक खेल भी ‘एकाधिकारवादी’ हो सकते हैं?
रजत पदक की उपलब्धि तक विनेश का वजन लिया गया, तो 49.9 किग्रा था। अधिकतम सीमा 50 किग्रा. के भीतर ही था। ओलंपिक की ज्यूरी ने ही हर बार उन्हें ‘विजेता’ घोषित किया। फिर अयोग्यता का सवाल कहां पैदा होता है?
छह बार के विश्व चैम्पियन पहलवान एवं ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता अमरीकी पहलवान जॉर्डन ब्यूरोज ने भी यही सवाल उठाते हुए मांग की है कि विनेश को कमोबेश रजत पदक जरूर दिया जाए। कई कुश्ती विशेषज्ञों और पहलवानों ने भी ऐसे ही आग्रह किए हैं।
विनेश फोगाट हरियाणा के बलाली गांव से हैं और फ्रीस्टाइल कुश्ती में प्रतिस्पर्धा करती हैं। विनेश ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं, जिसमें उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि 2019 के विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतना है।
विनेश का करियर भी बहुत प्रेरणादायक रहा है, क्योंकि उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया, जैसे कि गंभीर चोटें, और फिर भी अपनी मेहनत और समर्पण से उन्होंने शानदार सफलता प्राप्त की। वे भारतीय कुश्ती की नई पीढ़ी की प्रेरणा और एक रोल मॉडल हैं।
विनेश फोगाट का जन्म 25 अगस्त 1994 को हरियाणा के बलाली गांव में हुआ था। वे फोगाट परिवार के सदस्य हैं, जो कुश्ती के लिए बहुत प्रसिद्ध है। उनके परिवार में उनके चचेरे भाईयों में गीता फोगाट और बबीता फोगाट भी शामिल हैं, जो कुश्ती में सफल हैं।
विनेश ने अपनी पहलवानी की शुरुआत छोटी उम्र से ही की और जल्दी ही अपनी प्रतिभा को साबित किया। 2014 में, उन्होंने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता, और इसके बाद कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी सफलता प्राप्त की।
2016 में रियो ओलंपिक में, वे क्वार्टरफाइनल में पहुंची, लेकिन एक चोट के कारण उन्हें बाहर होना पड़ा। हालांकि, उन्होंने इससे उबरने के बाद 2018 और 2019 में दो बार विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में पदक जीते।
उनकी प्रमुख उपलब्धियों में 2018 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक और 2020 के टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक शामिल हैं। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें भारतीय कुश्ती का एक महत्वपूर्ण नाम बना दिया है।
विनेश फोगाट ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पहलवानी टूर्नामेंटों में भाग लिया और विभिन्न चैंपियनशिप में सफलताएँ प्राप्त की हैं:
2013 विनेश ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और उसी साल जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
2014 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर वे प्रमुखता में आईं। इसके बाद उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स 2014 में भी स्वर्ण पदक जीता।
2015 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में उन्होंने क्वार्टरफाइनल तक का सफर तय किया और एक महत्वपूर्ण जीत दर्ज की।
2018 एशियाई खेलों में उन्होंने महिलाओं की 50 किलोग्राम श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता, और इसी वर्ष विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भी कांस्य पदक प्राप्त किया।
2020 टोक्यो ओलंपिक में, विनेश ने महिला 53 किलोग्राम श्रेणी में कांस्य पदक जीता, जो उनके करियर की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।
2021 वे टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों के दौरान एक गंभीर चोट से उबरने में सफल रही, और इसके बावजूद उन्होंने अपनी मजबूत वापसी की।
विनेश की कुश्ती में उनकी तकनीकी क्षमता, शारीरिक फिटनेस, और मानसिक दृढ़ता के लिए प्रशंसा की जाती है। वे भारतीय खेलों की वैश्विक पहचान में एक महत्वपूर्ण नाम हैं और उनकी सफलता ने बहुत से युवा पहलवानों को प्रेरित किया है।
विनेश फोगाट को 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए अयोग्य घोषित करने का निर्णय उनके प्रशंसकों और खेल जगत में एक विवादित मुद्दा रहा है। यह निर्णय उनके प्रदर्शन या उनकी क्षमता पर आधारित नहीं था, बल्कि यह उनके द्वारा अर्हता प्राप्त करने के नियमों और मानदंडों का उल्लंघन करने के कारण था।
ऐसे निर्णयों से खिलाड़ियों के मनोबल पर असर पड़ता है और यह खेल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी चुनौती देता है। खेल जगत में नियमों और प्रक्रियाओं का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन खिलाड़ियों को भी उचित और पारदर्शी तरीके से मौका मिलना चाहिए।
यह स्थिति विनेश फोगाट और उनके समर्थकों के लिए निराशाजनक हो सकती है, लेकिन इससे उनके समर्पण और मेहनत की सराहना कम नहीं होती। भविष्य में सही प्रक्रियाओं के तहत उनकी सफलताएँ जारी रहेंगी, और यह घटना उन्हें और भी मजबूत बनने की प्रेरणा दे सकती है।
सभी विशेषज्ञ गलत हों और ओलंपिक समिति ही सही हो, यह कैसे संभव है? प्रिय विनेश! तुमने ओलंपिक के मंच पर जिस तरह जीत का परचम लहराया है, देश उन दृश्यों का साक्षी रहा है। देश में जश्न और उत्साह का माहौल था। एक बेहद सुंदर सपना साकार होने वाला था कि अचानक सब कुछ धराशायी हो गया, टूट कर बिखर गया।
करीब 144 करोड़ की आबादी वाला देश एकदम स्तब्ध हो गया। सन्निपात की सी स्थिति आ गई। मात्र 100 ग्राम के वजन ने करोड़ों की उम्मीदों, उनके सपनों और उनकी खुशियों को एकदम कुचल दिया।
बेशक यह असहनीय पीड़ा और व्यथा है, लेकिन विनेश बिटिया! तुम यकीन करना कि हम निराश, हताश, कुंठित नहीं हैं, पराजित भी नहीं हुए हैं। शायद खेल पंचाट न्यायालय का विवेक जाग जाए और वह कोई असंभावित फैसला सुना दे! बहरहाल यह देश अपनी चैम्पियन बेटी के साथ खड़ा है।
हालांकि हम साजिश या ओलंपिक के बहिष्कार की नकारात्मक राजनीति और प्रचारवाद के खिलाफ हैं। विनेश को भी ये प्रवृत्तियां स्वीकार्य नहीं होंगी, लेकिन कुछ बुनियादी सवाल तो हैं कि अचानक वनज बढक़र 49.9 किग्रा. से 52.7 किग्रा. कैसे हो गया? क्या डाइट में कुछ लापरवाही हुई? या हेवी डाइट दे दी गई? क्या विनेश की निजी टीम ने ध्यान नहीं दिया अथवा विनेश ने ही डाइट ज्यादा ले ली?
बेशक विनेश ने रात भर वजन घटाने की कई कोशिशें कीं। खून तक निकाला गया, बाल काटने पड़े, सॉना बाथ लिया, लेकिन वजन अचानक ठहर गया और अयोग्यता का आधार बना दिया। पुराने पहलवान बताते हैं कि वजन जहां रुक जाता है, तो पसीना आना भी बंद हो जाता है। विनेश के लिए भी ऐसी ही स्थितियां बन गईं। इन सवालों और कथित लापरवाहियों की जांच तो जरूर की जानी चाहिए और सभी जवाब देश के सामने रखे जाने चाहिए।
फिलहाल विनेश अपनी लड़ाई को पूरा करे, लेकिन देश की इच्छा है कि वह कुछ अंतराल के बाद अगले सफर पर निकलने का मन जरूर बनाएं। विनेश कई पीढिय़ों की प्रेरणा हैं, वे साकार रहनी चाहिए।
बाद में आई खबरों के अनुसार विनेश ने कुश्ती से संन्यास ले लिया है। अब वह कुश्ती के मुकाबलों में दिखाई नहीं देंगी। यह देखा जाना चाहिए कि कहीं हताश होकर उन्होंने यह फैसला तो नहीं लिया है?
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."