सुरेंद्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट
एक साल पहले, 31 जुलाई 2023 को एक दर्दनाक घटना घटी जिसने देश को हिला कर रख दिया।
जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस में तैनात आरपीएफ जवान चेतनसिंह चौधरी ने नफरत की आग में जलते हुए तीन मुस्लिम यात्रियों और अपने सीनियर सब-इंस्पेक्टर टीकाराम मीणा की गोली मारकर हत्या कर दी।
चौधरी का यह क्रूर कृत्य न केवल यात्रियों और उनके परिवारों के लिए एक बर्बादी का सबब बना, बल्कि उसकी खुद की जिंदगी भी तबाह हो गई।
घटना के बाद, चौधरी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया और जेल में डाल दिया गया।
इस कृत्य की व्यापक आलोचना हुई और मुंबई पुलिस ने त्वरित जांच की बात की। सरकार ने फास्ट ट्रैक अदालत गठित करने की भी घोषणा की, लेकिन स्थिति की गंभीरता के बावजूद, सरकार ने आज तक इस मामले में विशेष अभियोजक की नियुक्ति तक नहीं की है।
पीड़ित परिवारों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें केस की जानकारी देने में भी उदासीनता बरती है।
इंडियन एक्सप्रेस ने इस घटना की पहली बरसी पर पीड़ित परिवारों और आरोपी के परिवार से बातचीत की है। रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2023 में पुलिस ने इस मामले में 1097 पेज का चार्जशीट दाखिल किया, जिसमें 39 गवाहों के बयान शामिल हैं। इसके बावजूद, इस केस की सुनवाई आज तक शुरू नहीं हुई है।
चौधरी की नफरत ने न केवल यात्रियों और उनके परिवारों की जिंदगी बर्बाद की, बल्कि चौधरी के अपने परिवार की स्थिति भी दयनीय हो गई।
चौधरी की मां, राजेंद्री देवी ने कहा, “मेरे बेटे ने एक घिनौना पाप किया है जिसकी कीमत अब हम सभी चुका रहे हैं। उसने चार लोगों की हत्या की और हमारे स्वर्गीय पिता की इज्जत मिट्टी में मिला दी। हमें नहीं पता था कि उसके अंदर इतनी नफरत भरी हुई थी। अगर उसे अपनी नफरत ही निकालनी थी, तो वह हमारी हत्या कर देता।”
राजेंद्री देवी ने आरोप लगाया कि इस मामले में उसके बेटे के सीनियर अफसरों की भी भूमिका है। उनका कहना था कि अगर अफसरों को पता था कि चौधरी के अंदर इतनी नफरत है, तो उसे हथियार देने से रोकना चाहिए था।
राजेंद्री देवी ने यह भी बताया कि जब वे और उनकी बेटी जेल में चौधरी से मिलने गईं, तो चौधरी अपनी जिंदगी की भीख मांग रहा था। वह चिल्ला रहा था, “मुझे बाहर निकालो… मुझे बाहर निकालो…”
यह घटना न केवल पीड़ित परिवारों की त्रासदी है, बल्कि न्याय व्यवस्था की विफलता का भी उदाहरण है।
Author: samachar
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