संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
देसही देवरिया के महुआडीह थाना क्षेत्र के अमारी चौराहा पर काली मंदिर के पास एक क्रीम कलर की एसयूवी में सोमवार सुबह एक डॉक्टर की संदिग्ध परिस्थितियों में लाश मिली। गाड़ी के अंदर से शव को निकालने के लिए पुलिस ने गाड़ी का लॉक तोड़ा। वाहन का नंबर देखकर मृतक की पहचान की गई।
शव की नाक से खून बह रहा था और गाड़ी में शराब और सिगरेट के पैकेट पड़े हुए थे। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है ताकि मौत की वजह की पुष्टि की जा सके।
रविवार रात लगभग 10.30 से 11.00 बजे के बीच कुछ लोगों ने देखा कि एक क्रीम रंग की गाड़ी अमारी चौराहा पर काली मंदिर के पास सड़क किनारे रुकी हुई थी।
सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे तक गाड़ी वहीं खड़ी रही, जिससे लोगों को शक हुआ। गाड़ी के अंदर झांकने पर एक व्यक्ति को अचेत अवस्था में पिछली सीट पर पड़ा देखा गया।
पुलिस को सूचित करने के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर गाड़ी के सभी दरवाजे अंदर से बंद पाए और लॉक तोड़कर शव को बाहर निकाला।
मृतक की पहचान डॉक्टर जुनैद महसिम सिद्दीकी (40) के रूप में हुई, जो मूलतः रामपुर कारखाना थानाक्षेत्र के विशुनपुरा गांव के रहने वाले थे और गोरखपुर में अपने परिवार के साथ रहते थे।
हालांकि, गांववाले डॉक्टर जुनैद के बारे में संदेह जता रहे हैं, क्योंकि उन्होंने कई साल पहले घर छोड़ा था और बाद में खुद को डॉक्टर बताकर वापस आए थे। उनके परिवार ने हालांकि उनकी हत्या का कोई संदेह नहीं जताया है।
गाड़ी के अंदर शराब और सिगरेट के पैकेट मिले हैं, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि गाड़ी में कोई और भी था।
गाड़ी में से तीन लोगों को बाहर निकलते हुए देखा गया था, लेकिन उनकी पहचान और जुनैद को इस हालत में छोड़कर जाने की वजह अभी तक स्पष्ट नहीं है।
पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, जिसके बाद मौत की असल वजह सामने आ सकेगी और आगे की कार्रवाई की जाएगी।
डॉक्टर जुनैद तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। उनके पिता अफामुल्लाह सिद्दीकी ने दो शादियां की थीं, पहली पत्नी से चार संतानें थीं: तीन बेटे और एक बेटी।
जुनैद सबसे बड़े थे, इसके बाद जावेद, तौहीद और बहन शाहीन थे। दूसरी पत्नी से कोई संतान नहीं थी। माता-पिता की मृत्यु के बाद जुनैद ने अपने हिस्से की जमीन बेच कर परिवार से अलग रहने लगे थे। उनकी शादी अफसाना खातून से हुई थी, जिनसे उन्हें एक बेटा और एक बेटी हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."