चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
वाराणसी में सब-इंस्पेक्टर सूर्यप्रकाश पांडेय पर गंभीर आरोप लगा है कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर व्यापारी के 42 लाख रुपये लूट लिए।
इस मामले में निलंबित दारोगा सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है। हालांकि, 22 जून को हुए इस लूट कांड के तीन आरोपी अभी भी फरार हैं।
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में यह भी पता चला है कि इस साल अप्रैल में वाराणसी के काशी रेलवे स्टेशन के पास एक आभूषण कारोबारी को निशाना बनाकर करीब 25 लाख रुपये से ज्यादा की लूट की गई थी। अब जांच अधिकारी यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इन आरोपियों ने पहले कितने और अपराध किए हैं।
गौरतलब है कि वाराणसी के कैंट थाने के अंतर्गत आने वाली नदेसर चौकी के इंचार्ज सूर्यप्रकाश पांडेय और उसके दो साथी, विकास मिश्रा और अजय गुप्ता, हाल ही में लूट के आरोप में गिरफ्तार किए गए थे।
इन आरोपियों ने 22 जून को रामनगर क्षेत्र में बस में सवार आभूषण कारोबारी जयपाल के कर्मचारियों से 42 लाख रुपये लूटे थे। इस लूट को सूर्यप्रकाश पांडेय और उसके पांच साथियों ने मिलकर अंजाम दिया था।
पुलिस विभाग ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सूर्यप्रकाश पांडेय को निलंबित कर दिया और उसे विकास मिश्रा तथा अजय गुप्ता के साथ गिरफ्तार कर मीडिया के सामने पेश किया। साथ ही, लगभग 8 लाख रुपये की बरामदगी भी दिखाई गई। लेकिन, तीन अन्य आरोपी अभी भी फरार हैं।
पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ है कि आरोपी सब-इंस्पेक्टर के साथी विकास और अजय ने इसी साल अप्रैल में काशी रेलवे स्टेशन पर एक और लूट की वारदात को अंजाम दिया था, जिसमें 25 लाख रुपये से अधिक की रकम लूटी गई थी।
दोनों ने यह भी बताया कि हाल ही में पंजाब के एक कारोबारी को भी निशाना बनाया था, जिसके पास 44 लाख रुपये थे, जिनमें से उन्होंने लगभग 25 लाख रुपये लूटे थे।
इस वारदात में सब-इंस्पेक्टर भी शामिल था। फिलहाल, पुलिस पंजाब के उस कारोबारी का पता लगाने में जुटी हुई है।
अप्रत्याशित रूप से, निलंबित सब-इंस्पेक्टर सूर्यप्रकाश को विभाग की कार्रवाई और पूछताछ की बारीकियों की जानकारी थी, जिसका वह लाभ उठाता था।
वह अपने पकड़े जाने की संभावना को न्यूनतम करने के लिए वर्दी का रुआब दिखाकर कारोबारी को इनकम टैक्स विभाग के पास माल भेजने की धमकी देकर समझौते की पेशकश करता था। इस डर के कारण कारोबारी अक्सर आधी रकम में समझौता कर लेता था। इस दौरान, सूर्यप्रकाश और उसके साथी खुद को क्राइम ब्रांच का सदस्य बताकर कारोबारी को धोखा देते थे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."