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November 22, 2024 5:27 pm

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जिसके खौफ से माफिया अतीक अहमद भी बदल लेता था रास्ता, बाप गुरु और बेटा दुश्मन

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

1996 के अगस्त महीने में प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) के सिविल लाइंस इलाके में स्थित पैलेस थिएटर के बाहर एक सनसनीखेज घटना घटी। उस समय सपा के विधायक जवाहर यादव अपनी मारूति कार में थे। इसी दौरान एक वैन ने उनकी गाड़ी को ओवरटेक किया और वैन से बाहर आए एक युवक ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना में इलाहाबाद के लोगों ने पहली बार ऐसा हथियार देखा, जिससे तेज फायरिंग हो रही थी। 

इस हमले का मास्टरमाइंड इलाहाबाद के बारा से विधायक रहे उदयभान करवरिया था। उसके पिता, भुक्कल महाराज, इलाहाबाद में एक प्रमुख रेत माफिया और आपराधिक व्यक्ति थे। पुलिस का दावा है कि यह पहला मौका था जब इलाहाबाद में AK-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार का इस्तेमाल किया गया। इस हमले में तीन लोगों की हत्या हुई थी। इसके बाद, उदयभान करवरिया, उसके भाई और पूर्व सांसद सूरजभान करवरिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

भुक्कल महाराज का खौफ और राजनीति में प्रवेश

उदयभान करवरिया को अपने पिता से आपराधिक विरासत मिली। भुक्कल महाराज का इलाहाबाद में इतना खौफ था कि बड़े से बड़े कारोबारी भी उसका नाम सुनकर कांपते थे। एक उदाहरण के तौर पर, साल 1981 में इलाहाबाद के एसएसपी हरिदास राव से उत्तर प्रदेश के गृहमंत्री चौधरी नौनिहाल सिंह ने भुक्कल महाराज की पहचान कराई थी। एसएसपी ने इस मुलाकात के बाद कहा कि यह उनकी कृपा है कि वे सबसे बड़े बदमाश की शक्ल देख पाए हैं। इस घटना ने अखबारों की सुर्खियां बनाई और तत्कालीन मुख्यमंत्री बीपी सिंह ने एसएसपी को सस्पेंड कर दिया और मंत्री चौधरी नौनिहाल सिंह का गृह मंत्रालय छीनकर उन्हें शिक्षा विभाग देखने का आदेश दिया।

भुक्कल महाराज की राजनीति में असफलता

भुक्कल महाराज ने राजनीति में भी किस्मत आजमाई। उसने इलाहाबाद (उत्तर) और इलाहाबाद (दक्षिण) से तीन बार निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन हर बार हार गया। भुक्कल महाराज पूर्वांचल के माफिया डॉन अतीक अहमद का आपराधिक गुरु भी था। बाद में अतीक अहमद ने भुक्कल महाराज की हत्या कर ली और यमुना के घाटों से रेत खनन, रियल एस्टेट, और सरकारी ठेकों के अवैध कारोबार पर कब्जा कर लिया।

उदयभान करवरिया की राजनीति और अपराध

भुक्कल महाराज की हत्या के बाद, उसके बेटे उदयभान करवरिया ने 2002 में बारा सीट से विधायक का चुनाव जीता। बीजेपी के टिकट पर उदयभान ने 2007 में भी जीत दर्ज की। उसने अपने पिता की तरह अपराध की दुनिया में कदम रखा और अतीक अहमद से दुश्मनी शुरू की। यह दुश्मनी इतनी बढ़ गई कि अतीक अहमद उदयभान से डरने लगा। 

उदयभान ने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल जवाहर यादव हत्याकांड को दबाने के लिए किया। इसके चलते इस मामले में कई सरकारों के दौरान कोई प्रगति नहीं हुई। लेकिन जब अखिलेश यादव पहली बार मुख्यमंत्री बने, तो जवाहर यादव की पत्नी ने उनसे मिलकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की। इसके बाद, पुलिस ने उदयभान करवरिया और उसके भाइयों कपिल मुनि करवरिया और पूर्व सांसद सूरजभान करवरिया के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की। परिणामस्वरूप, इन सभी को 2015 में आजीवन कारावास की सजा हुई और तब से ये सभी प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद थे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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