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23 February 2025 4:42 pm

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दिवाकर यादव शहीद: परिवार और ग्रामीणों ने अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की

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संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

गोरखपुर। भारतीय सेना के जवान दिवाकर यादव एक दुखद हादसे में शहीद हो गए। उनकी पार्थिव देह जब पैतृक गांव में पहुंची, तो अंतिम दर्शन के लिए एक विशाल जनसैलाब उमड़ पड़ा। सैनिक सम्मान के साथ सेना के जवानों ने दिवाकर यादव को अंतिम सलामी दी। 

उनवल कटरा बाबा के स्थान पर आमी नदी के किनारे, दिवाकर यादव के 13 वर्षीय बेटे निखिल उर्फ शुभम ने अपने दादा जी के सहयोग से पिता की चिता को मुखाग्नि दी, जिससे वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं।

जब शहीद का शव भारतीय सेना के वाहन से जिले की सीमा में पहुंचा, तो सबसे पहले नौसढ़ में और फिर महुआडाबर चौराहे पर स्थित आरडीएम स्कूल कनराईं के विद्यार्थियों और शिक्षकों ने शव पर फूल बरसाए। इसके बाद जरलहीं आमी नदी पुल और उनवल में भी शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

जानकारी के अनुसार, दिवाकर यादव, जिनकी उम्र 35 वर्ष थी, 21 जुलाई को राजस्थान के बाड़मेर में बिजली का करंट लगने के बाद कुएं में गिर गए थे, जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई। इस सूचना के तुरंत बाद परिवार और ग्रामीण शहीद के शव का इंतजार करने लगे। 

22 जुलाई को पोस्टमार्टम और विभागीय औपचारिकताएं पूरी होने के बाद शव को सम्मान के साथ रवाना किया गया। जब शव उनके पैतृक निवास पर पहुंचा, तो आर्म्ड रेजिमेंट-74 स्टेशन हेडक्वार्टर के जवानों ने ताबूत का ढक्कन हटाया, जिससे पत्नी और मां बेसुध हो गईं। शहीद की मृत्यु पर परिवार वाले और अन्य लोग शोक में डूब गए।

जिलाधिकारी कृष्ण करूणेश के प्रतिनिधि के रूप में तहसीलदार गोपाल कृष्ण तिवारी, सेवानिवृत्त कर्नल अनिल कुमार सिंह, नगर पंचायत के चेयरमैन महेश दूबे और अन्य गणमान्य लोगों ने पुष्पगुच्छ चढ़ाकर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। 

अंतिम यात्रा के दौरान “दिवाकर यादव अमर रहें”, “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” के नारों के साथ बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

दिवाकर यादव तीन भाईयों और एक बहन में दूसरे नंबर पर थे। उनके बड़े भाई प्रभाकर सीमा सुरक्षा बल के जवान हैं, जबकि छोटा भाई रमाकर भी सेना में है। बहन नर्वदा की शादी हो चुकी है। पिता किसान हैं और मां एक घरेलू महिला हैं। 

खजनी थाने के एसएसआई बलराम पांडेय, सत्यदेव, शैलेन्द्र प्रताप सिंह, नायक रमेश यादव, अभय यादव, रिसालदार देवेन्द्र, बृजेश और अन्य रेजिमेंट के जवानों समेत बड़ी संख्या में नगर, तहसील और जिले के लोग शहीद को अंतिम श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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