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November 1, 2024 4:55 pm

इश्क़ तेरे ढंग निराले… स्कूल में प्यार, शादी और फिर खुदकुशी… गजब है ये प्रेम कहानी

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संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक जोड़े ने खुदकुशी कर ली। पटना के रहने वाले हरीश बगेश और गोरखपुर की रहने वाली संचिता श्रीवास्तव ने एक-दूसरे को स्कूल टाइम से ही पसंद करना शुरू कर दिया था और बाद में शादी कर ली। 

शादी के कुछ सालों बाद, रविवार को वाराणसी में हरीश ने फंदे से लटक कर खुदकुशी कर ली। पति की मौत की खबर मिलते ही संचिता ने भी गोरखपुर में अपने पिता के घर की छत से कूद कर जान दे दी। इस घटना के बाद दोनों परिवारों में मातम छा गया है।

पुलिस के मुताबिक, हरीश और संचिता दोनों वाराणसी के एक ही स्कूल में पढ़ते थे और 11वीं कक्षा में उन्हें एक-दूसरे से प्यार हो गया था। बाद में दोनों ने शादी कर ली और मुंबई में रहने लगे। हरीश ने एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक प्राइवेट बैंक में नौकरी कर ली थी।

कुछ समय बाद, संचिता की तबियत बिगड़ गई और उसके पिता, गोरखपुर के चर्चित डॉक्टर रामचरण दास, उसे अपने शहर ले आए। संचिता का इलाज गोरखपुर में चल रहा था। हरीश ने भी बैंक की नौकरी छोड़कर गोरखपुर आ गए और ससुराल में रहकर पत्नी की देखभाल करने लगे। 

इस दौरान हरीश ने कई जगह नौकरी की तलाश की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। दो दिन पहले हरीश ने अपने घर पटना जाने की बात कहकर ससुराल से निकला, लेकिन वह वाराणसी चला गया। जब उसने अपने परिजनों का फोन नहीं उठाया, तो वे उसे ढूंढते हुए वाराणसी के सारनाथ क्षेत्र पहुंचे। वहां होम स्टे के एक कमरे में हरीश फंदे से लटका मिला।

हरीश के ससुर, डॉक्टर रामचरण दास, जब यह खबर मिली तो वे वाराणसी के लिए निकल पड़े। लेकिन इस दौरान उनकी बेटी संचिता को पति की मौत की जानकारी मिल गई और उसने यह सहन नहीं कर पाई। संचिता ने छत से कूद कर आत्महत्या कर ली।

सारनाथ में हरीश के शव की पहचान पुलिस ने उसके पास मिले आधार कार्ड से की। पुलिस ने हरीश के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। हालांकि, मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। शुरुआती जांच में पता चला है कि नौकरी जाने के बाद हरीश डिप्रेशन में रहने लगा था और नशे का आदी भी हो गया था। फिलहाल, पुलिस मामले की जांच कर रही है।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."