इरफान अली लारी की रिपोर्ट
हाथरस के हादसे में 116 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 108 महिलाएं थीं। ये महिलाएं किसी की मां, किसी की बहू, और किसी की बेटी थीं। महिलाएं परिवार की धुरी होती हैं और उनके बिना पूरा परिवार बिखर जाता है।
उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए इस दर्दनाक हादसे ने 108 परिवारों की महिलाओं को उनसे छीन लिया, जिससे उनके परिवारों के लिए अब पूरा संसार उजड़ गया है। इन परिवारों में अब एक खालीपन आ गया है, जो शायद ही कभी भर पाए।
108 महिलाएं, सात बच्चे और एक पुरुष की मौत
हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र में आयोजित सत्संग में मंगलवार को भगदड़ मच गई, जिसके बाद सरकारी अस्पताल में बहुत ही दर्दनाक दृश्य देखने को मिले।
अस्पताल में शवों को बर्फ की सिल्लियों पर रखा गया था, जबकि पीड़ितों के विलाप करते परिजन शवों को घर ले जाने के लिए बारिश के बीच बाहर इंतजार कर रहे थे। अधिकारियों ने मृतकों की संख्या 116 बताई है, जिनमें 108 महिलाएं, सात बच्चे और एक पुरुष शामिल हैं। भगदड़ अपराह्न करीब 3.30 बजे हुई, जब बाबा कार्यक्रम स्थल से निकल रहे थे।
अपने खोए हुए परिजनों की तलाश
हादसे के बाद परिजन घटना स्थल पर पहुंचकर अपने खोए हुए परिजनों की तलाश करने लगे। कई लोग निराश हुए, जबकि कुछ भाग्यशाली भी थे। सिकंदराराऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के बाहर लोग देर रात तक अपने लापता परिवार के सदस्यों की तलाश करते नजर आए। कासगंज के रहने वाले राजेश ने बताया कि वह अपनी मां को ढूंढ रहा था, जबकि शिवम अपनी बुआ को ढूंढ रहा था।
राजेश ने एक समाचार चैनल पर अपनी मां की तस्वीर देखकर उन्हें पहचान लिया। मीना देवी, जिन्होंने अपनी मां सुदामा देवी को खो दिया, ने बताया कि वह भी संगत में जाने की योजना बना रही थी, लेकिन बारिश के कारण नहीं जा पाई।
हादसे का दर्द और सदमा
हाथरस हादसे के बाद कई परिजन सदमे में हैं और उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा है कि उनके अपने उन्हें छोड़कर चले गए हैं। विनोद कुमार सूर्यवंशी ने अपनी 72 वर्षीय मौसी को खो दिया, जबकि उनकी मां सौभाग्य से बच गईं। उन्होंने कहा कि वह अपनी मौसी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन यह प्रक्रिया कब पूरी होगी, यह उन्हें नहीं पता। अस्पताल में मौजूद अन्य लोग भी अपने परिजनों के शवों के लिए इंतजार कर रहे थे।
अन्य राज्यों से भी आए थे लोग
भगदड़ में मारे गए 116 लोगों में से ज्यादातर की शिनाख्त हो गई है। सत्संग में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान से भी श्रद्धालु आए थे।
अलीगढ़ परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक शलभ माथुर ने बताया कि इस हादसे में 116 लोगों की मौत हुई है।
सत्संग में आगरा, संभल, ललितपुर, अलीगढ़, बदायूं, कासगंज, मथुरा, औरैया, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बुलंदशहर, हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल, मध्यप्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के डीग आदि जिलों से भी अनुयायी पहुंचे थे।
मृतकों की सूची
उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त की ओर से जारी सूची के अनुसार, मृतकों की पहचान की गई है। मृतकों में खुशबू (जलेसर), वीरा (बदायूं), रामवती (पीलीभीत), ऊषा (बुलंदशहर), धरमवती (बदायूं), माया (बुलंदशहर), सुखवती (ललितपुर), शीला (आगरा), रामवेटी (पीलीभीत), बासो (मथुरा), सुनीता, सुदामा (कासगंज), प्रेमवती (दादरी), ईश्वर प्यारी (एटा), राजकुमारी (अलीगढ़), रामादेवी (शाहजहांपुर), राधा देवी (आगरा), संगीता देवी (आगरा), शीला देवी (औरैया), पिंकी शर्मा (संभल) शामिल हैं। अन्य मृतकों में ममता (आगरा), इंद्रावती (हाथरस), गुड़िया (आगरा), ममता (अलीगढ़), मीना (एटा), सीमा (कासगंज), युवांश (कासगंज), रोशनी (बदायूं), राजवती (हाथरस), गुड्डी (आगरा), रामादेवी (फिरोजाबाद), गौरी (बुलंदशहर), भगवान देवी (मथुरा), मुनि देवी (कासगंज), सुधा, निहाल देवी (आगरा), रामनरेश (औरैया), श्रीमती सर्वेश (अलीगढ़), मंजू (अकराबाद), पंकज (अकराबाद), दीपमाला (शाहजहांपुर), जशोदा (लखीमपुर खीरी), कुसुम (बदायूं), बैजंती (आगरा), मुनि (हाथरस), रामवेटी (आगरा), शांति देवी (अलीगढ़), राजेंद्री (राजस्थान), गीता देवी (आगरा), गीता देवी की भांजी (आगरा), आशा देवी (हाथरस), रामश्री (ग्वालियर-मध्यप्रदेश), सविता (आगरा), शीला देवी (हाथरस), सावित्री (हाथरस), यशोदा (मथुरा), चंद्रप्रभा (एटा), काव्या (शाहजहांपुर), आयुष (शाहजहांपुर), रोविन (एटा), ज्योति (बुलंदशहर), मीरा (कासगंज), सोमवती (कासगंज), गंगा देवी (हाथरस), रेवती (कासगंज), प्रियंका (कासगंज), बीना (एटा), सोनदेवी (हाथरस), कमलेश (मथुरा), शिवराज (अलीगढ़), मुनि देवी (आगरा), चंद्रवती (पलवल-हरियाणा), कमला देवी (कासगंज) और श्रीमती त्रिवेणी (मथुरा) शामिल हैं। शेष शवों की पहचान की कोशिश जारी है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."