चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के हाथरस में इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) के पूर्व कर्मचारी से भोले बाबा बने संत के प्रवचन के बाद मौत आफत बनकर टूट पड़ी। प्रशासन ने 110 से ज्यादा जिंदगियों की लिखापढ़ी तो शुरू कर दी और शायद सभी मृतकों को मुआवजा भी दे दिया जाय। अब देखना ये है कि प्रशासन इन लोगों की मौत का ठीकरा किसके सर फोड़ता है। आइए जानते हैं क्या हो सकता है इतने बड़े हादसे का कारण।
हाथरस में हुई हालिया घटना ने प्रतापगढ़ की दुखद घटना की याद दिला दी है, जिसमें 63 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
कल हाथरस में सिकंदरा राऊ के पास फूलरई मुगलगढ़ी नेशनल हाईवे पर 130 लोगों की मौत की खबर आई है। इस घटना के दौरान भोले बाबा के सत्संग का आयोजन किया गया था, और सत्संग समाप्त होने के बाद हादसा हुआ।
जब बाबा वापस जा रहे थे, तो उनके श्रद्धालु उनके चरणों की धूल लेने के लिए दौड़ पड़े। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इसी दौरान यह हादसा हुआ और लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए।
प्रतापगढ़ में 4 मार्च 2010 को राम जानकी मंदिर में कृपालु जी महाराज की ओर से उनकी पत्नी की पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें लोगों को खाना और कपड़े बांटने की योजना थी।
इस कार्यक्रम में 10,000 से अधिक लोग उपस्थित थे। कपड़े और खाना बांटने के दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें 63 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
कल के कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की उपस्थिति की सटीक संख्या का अनुमान नहीं है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, लाखों लोग उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि जब सत्संग के बाद बाबा वापस जा रहे थे, तो उनके चरणों की धूल लेने के लिए भक्त दौड़ पड़े। इसी दौरान भगदड़ मच गई और लोग एक-दूसरे पर गिरते चले गए। परिणामस्वरूप, 100 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई।
जरूरत से ज्यादा भीड़
हादसे की बड़ी वजह जरूरत से ज्यादा भीड़ का इकट्ठा हो जाना हो सकता है। बाबा का सत्संग खत्म होने के बाद भारी भीड़ बाहर निकलने के लिए उमड़ पड़ी। इस अनियंत्रित में लोग एक दूसरे से धक्कामुक्की करने लगे। आलम ये हुआ कि लोग गिरकर दबना शुरू हो गए। इसी में बाबा के काफिले ने और अफरा- तफरी मचा दी।
बाबा के काफिले से बेकाबू हुई भीड़
सत्संग खत्म होने के बाद बाहर निकल रही भीड़ को एक हिस्से से बाबा का काफिला निकालने के लिए रोक दिया गया। अचानक से रास्ता रोक दिया गया तो भीड़ का दबाव बढ़ गया। इससे भीड़ के बीच भगदड़ मच गई।
सड़क के बगल दलदल भरा खेत
सत्संग स्थल से दूसरी ओर सड़क से कुछ ही दूरी पर खेत के पास किनारे पर भयंकर दलदल है। भगदड़ में लोग इस कीचड़ में गिरते चले गए और वहां फंसने से उनकी मौत हो गई। दरअसल, बारिश की वजह से वहां पानी भरा हुआ था। जिस वजह से लोग उसमें फंस गए और आगे नहीं बढ़ पाए।
प्रशासन की लापरवाही हो सकती है बड़ी वजह
हादसे में प्रशासन की लापरवाही भी सामने आ रही है। मौके पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे। बाबा के सत्संग में क्षमता से ज्यादा भक्त इकट्ठा हो गए थे। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो सत्संग खत्म होने के बाद बाहर निकलने की जल्दबाजी में भगदड़ मची जो देखते ही देखते चीख पुकार में बदल गई। प्रशासनिक व्यवस्था लचर होने की वजह से भी भीड़ अनियंत्रित हो गई।
आपको बता दें कि घटना के बाद सत्संग के सभी आयोजक लापता हैं। सत्संग के आयोजकों की तलाश में पुलिस जुटी हुई है। हाथरस हादसे पर भाजपा सांसद अरुण गोविल ने कहा, “हाथरस में जो भी हादसा हुआ है वो बहुत बड़ी दुर्घटना है और बहुत दुखद है। उसमें जिन लोगों की जानें चली गई हैं उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदना। जो घायल हैं वो जल्द से जल्द ठीक हो जाएं परमात्मा से मेरी यही कामना है।”
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."