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November 22, 2024 2:48 am

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आखिर ओपी राजभर के चल क्या रहा दिमाग में?… सबकुछ ऐसे वैसे कर दिया… कुछ करेंगे क्या? 

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने अपनी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की सभी इकाइयों को विलय से अलग कर दिया है। उन्होंने इस निर्णय का ऐलान करते हुए बताया कि उनकी पार्टी नई ऊर्जा और संगठन के साथ आगे बढ़ेगी। यह बदलाव राजनीतिक दायरे में 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी का हिस्सा माना जा रहा है।

वर्तमान में गाजीपुर की विधानसभा से विधायक रहने वाले ओम प्रकाश राजभर के बेटे डॉ. अरविंद राजभर ने एनडीए गठबंधन की ओर से घोसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था।

सुभासपा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव डॉक्टर अरविंद राजभर ने अपनी पार्टी की व्यापक समीक्षा के बाद एक महत्वपूर्ण निर्णय की घोषणा की है। वे फिलहाल उत्तर प्रदेश में सभी प्रदेश, मंडल, जिला, विधानसभा और ब्लॉक स्तरीय कार्यकारिणी को बदलने का निर्णय लिया है ताकि संगठन को विस्तार और मजबूती प्राप्त की जा सके। उन्होंने यह भी घोषणा की है कि विधानसभा चुनाव 2027 के लिए नए संगठन का गठन किया जाएगा।धध

पत्रकार मनीष कुमार सिंह ने बताया है कि यूपी में पूर्वांचल क्षेत्र में राजभर की वोट बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी के लिए चुनौती रही है। ओमप्रकाश राजभर ने नई कार्यकारिणी बनाने की घोषणा की है ताकि वे 2027 के विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकें।

चुनाव परिणामों के बाद समीक्षा बैठकें होना पार्टी राजनीति का स्वाभाविक हिस्सा है। इस संदर्भ में, ओमप्रकाश राजभर ने अपनी पार्टी में नई कार्यकारिणी का गठन करने का निर्णय लिया है, जिसका मकसद नए ऊर्जा और दिशा प्रदान करना है। पत्रकार मनीष कुमार सिंह ने बताया है कि राजभर ने यह निर्णय लेते हुए यह माना है कि इससे वे पार्टी में नई ऊर्जा ला सकते हैं और अपने वोटर बेस को सुधार सकते हैं।

2017 के विधानसभा चुनाव से पहले ओपी राजभर ने बीजेपी के संपर्क में आकर एनडीए के साथ गठबंधन का हिस्सा बना और उत्तर प्रदेश में आठ सीटों पर चुनाव लड़ा। इस गठबंधन में उनकी पार्टी ने चार सीटें जीती। फिर 2022 से पहले, उन्होंने सपा के साथ समझौता किया और चुनाव के परिणामों के बाद इस समझौते को तोड़ दिया। उन्होंने फिर से एनडीए के साथ जुड़कर लोकसभा चुनाव में घोसी सीट पर चुनाव लड़ा।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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