इरफान अली लारी की रिपोर्ट
बकरीद के अवसर पर कुर्बानी के लिए तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। दुबग्गा इलाके में एक विशेष बकरे की चर्चा हो रही है, जिसकी कीमत 10 लाख 786 रुपये रखी गई है। इस बकरे के पेट पर अरबी में ‘मोहम्मद’ लिखा हुआ है, जो इसे और खास बनाता है।
बकरे के मालिक मोहम्मद शाकिर का कहना है कि यह बकरा पिछले साल भी बिकने आया था, लेकिन उस समय इसका वजन कम था। इस साल यह पूरी तरह तैयार है और इसे विशेष खानपान दिया जा रहा है, जिसमें चना, ड्राई फ्रूट्स और घर का बना खाना शामिल है। इसके अलावा, यह बकरा जमीन पर नहीं बैठता, बल्कि चारपाई और फोल्डिंग पर ही बैठता है।
बकरीद पर ऐसे बकरों की विशेष मांग होती है, जो उनकी अनूठी विशेषताओं के कारण अधिक कीमत पर बिकते हैं।
बकरीद, जिसे ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाना जाता है, इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार हज़रत इब्राहीम (अलैहि सलाम) की अल्लाह के प्रति उनकी निष्ठा और उनके बेटे इस्माइल (अलैहि सलाम) की कुर्बानी की याद में मनाई जाती है। इस मौके पर दुनिया भर के मुसलमान जानवरों की कुर्बानी देते हैं, जिसमें आमतौर पर बकरा, भेड़, गाय, या ऊंट शामिल होते हैं।
लखनऊ के दुबग्गा इलाके में विशेष रूप से इस समय काफी चहल-पहल देखी जा रही है, जहां लोग कुर्बानी के लिए बकरों की खरीदारी में लगे हुए हैं। मोहम्मद शाकिर द्वारा पेश किया गया 10 लाख 786 रुपये का बकरा काफी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस बकरे के बारे में कई विशेष बातें हैं, जैसे कि इसके पेट पर अरबी में ‘मोहम्मद’ लिखा होना, इसका केवल चारपाई और फोल्डिंग पर बैठना, और इसका विशेष खानपान।
बकरीद के इस महत्वपूर्ण त्योहार के लिए लोग पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते हैं। कुर्बानी के जानवरों की अच्छी देखभाल की जाती है और उन्हें अच्छे से खिलाया पिलाया जाता है ताकि वे स्वस्थ और तंदुरुस्त रहें। बाजारों में लोग सबसे अच्छे और सबसे अनोखे जानवरों की खोज में रहते हैं, जो उनके त्योहार को और भी खास बना सके।
यह त्योहार न केवल धार्मिक आस्था और परंपराओं का प्रतीक है, बल्कि इसे सामाजिक सामंजस्य और गरीबों की मदद के तौर पर भी देखा जाता है। कुर्बानी के जानवर का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है – एक हिस्सा अपने लिए, एक हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए, और एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए। इस तरह, बकरीद का त्योहार समुदाय के सभी वर्गों को एक साथ लाने और खुशियों को बांटने का अवसर प्रदान करता है।
बकरीद की तैयारियों के साथ-साथ सुरक्षा और सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। प्रशासन द्वारा कुर्बानी के स्थानों और बाजारों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं ताकि त्योहार शांतिपूर्ण और सुरक्षित रूप से मनाया जा सके। इसके अलावा, सफाई और स्वच्छता के नियमों का पालन करना भी आवश्यक होता है ताकि शहर में कहीं भी गंदगी या अव्यवस्था न फैले।
इस प्रकार, बकरीद का त्योहार न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो समुदाय को एकजुट करता है और आपसी भाईचारे और सहयोग की भावना को मजबूत करता है।
लखनऊ के दुबग्गा इलाके में स्थित बकरा मंडी में बकरीद की तैयारियों के चलते काफी रौनक देखने को मिल रही है। बकरा मंडी के संचालक अबरार खान ने जानकारी दी कि इस बार बकरों की शुरुआती कीमत 10 से 12 हजार रुपये है। इस मंडी में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से लोग बकरा खरीदने और बेचने के लिए आते हैं। अबरार खान इस मंडी को लगभग 15 सालों से चला रहे हैं। पहले यह मंडी नींबू पार्क के पास लगती थी, लेकिन वहां से स्थानांतरित होने के बाद अब यह दुबग्गा में आयोजित की जाती है।
बकरों की शुरुआती कीमत 10 से 12 हजार रुपये है, लेकिन सबसे महंगे बकरे की कोई निश्चित सीमा नहीं होती। कई बकरे उनकी विशेषताओं और अनूठी विशेषताओं के कारण बहुत अधिक कीमत पर बिकते हैं, जैसे कि इस साल 10 लाख 786 रुपये का बकरा जिसकी चर्चा हो रही है। इस प्रकार की बकरा मंडी न केवल व्यापार का केंद्र होती है, बल्कि यह त्योहार के महत्व और समुदाय के लोगों के बीच सहयोग और सौहार्द का प्रतीक भी है।
लोगों की भारी भीड़ और बकरों की विस्तृत श्रृंखला इस मंडी की खासियत है, जहां पर हर प्रकार के बकरे उपलब्ध होते हैं, जिससे खरीदार अपनी जरूरत और बजट के अनुसार बकरा चुन सकते हैं। बकरीद के इस पावन अवसर पर सभी लोग अपने-अपने तरीके से तैयारियां करते हैं और इस मंडी में आकर एक अच्छे और स्वस्थ बकरे की खरीददारी करते हैं।
लखनऊ के दुबग्गा इलाके में स्थित बकरा मंडी में बकरीद के अवसर पर हर साल विभिन्न कीमतों के बकरे बिकते हैं। मंडी संचालक अबरार खान के अनुसार, यहाँ 10 हजार रुपये से लेकर लाखों रुपये तक के बकरे उपलब्ध होते हैं। पिछले साल एक बकरे की कीमत 3 लाख रुपये लगाई गई थी, जो इस साल 10 लाख 786 रुपये रखी गई है।
चार साल पहले इस मंडी में एक बकरा 20 लाख 86 हजार रुपये में बिका था, जो अब तक का सबसे महंगा बकरा था। हालांकि, इस साल अब तक के सबसे महंगे बकरे की कीमत 95 हजार रुपये रही है, जबकि दूसरा सबसे महंगा बकरा 65 हजार रुपये में बिका है। इस तरह के महंगे बकरे अक्सर उनकी विशेषताओं और अनूठी विशेषताओं के कारण अधिक कीमत पर बिकते हैं।
मंडी में 10 हजार रुपये के बकरे भी मिलते हैं, लेकिन वे सामान्य होते हैं और उनमें कोई विशेष गुण नहीं होते। हर साल इस मंडी में विभिन्न प्रकार के बकरे बिकने आते हैं, जो खरीदारों की पसंद और बजट के अनुसार होते हैं।
बकरीद के इस अवसर पर लोग अपनी पसंद के अनुसार बकरा खरीदते हैं और इसकी कुर्बानी करते हैं, जो इस त्योहार का प्रमुख अंग है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."