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November 22, 2024 8:01 pm

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ये रिश्ता यहीं खतम…शहजाद पूनावाला का तंज: “इंडिया गठबंधन का तीन तलाक, दिल्ली से लेकर केरल तक… 

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद इंडिया गठबंधन में दरारें दिखाई दे रही हैं। आम आदमी पार्टी (आप) के नेता गोपाल राय ने स्पष्ट किया कि इंडिया गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव तक सीमित था और इसका दिल्ली के विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। 

दिल्ली में ‘आप’ अकेले ही चुनाव लड़ेगी। इस पर बीजेपी के नेता शहजाद पूनावाला ने चुटकी लेते हुए कहा कि दिल्ली में ‘आप’ और कांग्रेस का गठबंधन अभी-अभी हुआ था और अब वे अलग हो गए हैं। पूनावाला ने इस घटनाक्रम पर व्यंग्य करते हुए कहा कि ‘आप’ के नेताओं के अनुसार अब दिल्ली में इंडिया गठबंधन नहीं रहेगा।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) यह बयान ऐसे वक्त में दे रही है जब हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें कोई सीट नहीं मिली। 

लोकसभा चुनाव में हारने के बाद अब गोपाल राय कह रहे हैं कि यह गठबंधन यहीं खत्म हो गया है और दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘आप’ और कांग्रेस का कोई संबंध नहीं रहेगा। 

दिल्ली में दोस्ती, पंजाब में कुश्ती

पूनावाला ने यह भी कहा कि यह गठबंधन केवल स्वार्थ के लिए था। दिल्ली में दोस्ती, पंजाब में लड़ाई, और चंडीगढ़ में मौज-मस्ती चल रही थी। उन्होंने इसे “फ्रेंडशिप ऑफ बेनिफिट” कहा, जिसका मतलब है कि लाभ खत्म तो दोस्ती खत्म। पूनावाला ने तंज कसते हुए कहा कि कुछ दिनों पहले हुआ ‘निकाह’ अब ‘तीन तलाक’ में बदल गया है। 

उन्होंने आगे कहा कि पंजाब में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी को भ्रष्टाचारी और उग्रवादियों का समर्थन करने वाला कहती है, जबकि दिल्ली में एक-दूसरे की तारीफ करते थे। अब ये दोनों दल एक-दूसरे को गालियां देंगे। यही इंडी अलायंस का चरित्र है।

शहजाद पूनावाला ने अपने बयान में कहा कि, अब यहां तीन तलाक हो चुका है और भविष्य में यह तीन तलाक पश्चिम बंगाल से लेकर केरल तक में होगा। यही इंडी अलायंस का असली चेहरा है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच हुई नई-नई शादी अब तलाक में तब्दील हो चुकी है।

दिल्ली की सातों सीटों पर भाजपा की जीत को लेकर पूनावाला ने बताया कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था।

इस गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की चार लोकसभा सीटों पर और कांग्रेस ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन अंततः दिल्ली की सभी सातों सीटें भाजपा के खाते में चली गईं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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