चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के लिए उत्तर प्रदेश में पार्टी की हार को एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। 2019 में 62 सीटें जीतने वाली बीजेपी को इस बार मात्र 33 सीटों पर संतोष करना पड़ा, जबकि समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की। इस चुनावी नतीजे के बाद यूपी और योगी फैक्टर की सर्वाधिक चर्चा हो रही है।
राजनीतिक विश्लेषक यूपी में बीजेपी की हार के पीछे कई कारण बता रहे हैं, जिनमें से एक प्रमुख कारण अरविंद केजरीवाल का बयान है। केजरीवाल ने कहा था कि चुनाव के बाद प्रधानमंत्री मोदी, योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटा देंगे, जैसा कि उन्होंने मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के साथ किया था। इस बयान ने बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचाया।
योगी आदित्यनाथ का बीजेपी में बड़ा कद और उनकी लोकप्रियता ही है कि किसी भी प्रदेश में चुनाव हो, सीएम योगी की काफी मांग रहती है। मोदी-योगी युग्म वाले नारे बीजेपी की रैलियों में खूब सुनाई दिए। कई राज्य योगी मॉडल को अपना रहे हैं, उनकी कार्यशैली केवल बीजेपी शासित राज्य ही नहीं, बल्कि अन्य दलों की अगुवाई वाले मुख्यमंत्री भी योगी का अनुसरण कर रहे हैं।
योगी ने यूपी में ऑपरेशन माफिया चलाकर अपराधियों का सफाया किया, जिससे उनकी छवि बुलडोजर बाबा के रूप में बन गई।
पूर्वांचल में सीएम योगी के लिए जबरदस्त क्रेज है। योगी फैक्टर की वजह से पूरे प्रदेश में खराब प्रदर्शन करने वाली बीजेपी गोरखपुर मंडल की सभी सीटों पर जीत दर्ज करती है।
गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज, कुशीनगर और बांसगांव में बीजेपी को बंपर जीत मिली। इसका असर गोंडा और डुमरियागंज सीट पर भी देखने को मिला जहां पार्टी अपना किला बचाने में सफल रही।
राजनीतिक विश्लेषक यूपी में बीजेपी की हार के पीछे योगी समर्थकों की नाराजगी को भी एक कारण बता रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी संगठन को खत्म कर दिया, लेकिन उनके समर्थक आज भी उनसे जुड़े हैं।
समर्थकों का मानना है कि केंद्र उन्हें काम नहीं करने देता और उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। टिकटों का वितरण और बीजेपी प्रदेश संगठन के फैसलों में केंद्रीय नेतृत्व का बड़ा हस्तक्षेप रहता है।
बीजेपी के ही कई नेता प्रदेश में हार के लिए योगी को नहीं, बल्कि टिकट वितरण को दोषी मान रहे हैं। उनका कहना है कि सीएम योगी ने सभी लोकसभा सीटों पर जबरदस्त कैंपेनिंग की, लेकिन टिकट वितरण में उनकी भूमिका सीमित रखी गई। बीजेपी ने इस बार 2019 में जीते 62 सांसदों में से 55 को दोबारा टिकट दी, जबकि राज्य की यूनिट ने इनमें से कई सांसदों की नेगेटिव रिपोर्ट दी थी।
कहा जा रहा है कि कैंपेनिंग को लेकर सीएम योगी की भूमिका सीमित रखी गई थी और नुकसान का फीडबैक मिलने पर ही उन्हें सक्रियता के साथ मैदान में उतारा गया।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."