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November 2, 2024 6:03 am

आज भी है एक गाँव जहाँ पानी अमृत से कम नहीं, दो बूंद पानी के लिए कैसी जद्दोजहद करतीं हैं ये महिलाएं… हिल जाएंगे आप

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हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट

कबीरधाम जिले के पंडरिया विकासखंड का रेंगाबोड गांव पानी की भारी समस्या से जूझ रहा है। पीएम मोदी की हर घर जल जीवन मिशन नल योजना के बावजूद, इस गांव की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। हाफ नदी के तट पर बसे इस गांव की आबादी लगभग 2000 है और भीषण गर्मी के चलते जल स्तर अत्यधिक नीचे चला गया है। परिणामस्वरूप, हाफ नदी सूख चुकी है और गांव के हैंडपंप भी बंद हो गए हैं। इस कारण, गांव की महिलाओं को पीने का पानी लाने के लिए 1 से 1.5 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।

यह स्थिति न केवल जल संकट को उजागर करती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और जल प्रबंधन की समस्याओं को भी रेखांकित करती है। जल जीवन मिशन का उद्देश्य हर घर में नल के माध्यम से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है, लेकिन रेंगाबोड गांव की स्थिति दर्शाती है कि इस मिशन को जमीनी स्तर पर सही तरीके से लागू करने की आवश्यकता है ताकि हर व्यक्ति को इसका लाभ मिल सके।

भीषण गर्मी के कारण रेंगाबोड गांव में पानी के स्रोत सूख चुके हैं, जिससे यहां के निवासियों को स्वयं के पीने के लिए और पशुओं को पानी पिलाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। विशेष रूप से ग्राम रेंगाबोड के वार्ड क्रमांक 3 में यह समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। यहां की महिलाओं को सिर पर पानी ढोकर एक से दो किलोमीटर की दूरी से पानी लाना पड़ रहा है, जो उनके लिए बहुत ही कठिन और श्रमसाध्य कार्य है।

इस समस्या से निपटने के लिए तत्काल उपायों की आवश्यकता है, जैसे कि पानी के नए स्रोतों की खोज, मौजूदा जल संसाधनों का पुनरुद्धार, और जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग। साथ ही, जल जीवन मिशन के तहत जल आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

रेंगाबोड गांव में हर घर स्वच्छ पेयजल पहुंचाने की शासन की योजना पूरी तरह से विफल हो गई है। गांव के लोग पीने के पानी के लिए बेहद परेशान हैं। इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए ग्रामीणों ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर अभियान चलाकर शासन से पानी की व्यवस्था करने की मांग की है, लेकिन प्रशासन ने अभी तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है।

पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी पीने के पानी की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वे जिला मुख्यालय में प्रदर्शन करेंगे। इस प्रकार की स्थिति प्रशासनिक उदासीनता और जल प्रबंधन की विफलता को दर्शाती है। शासन को इस समस्या का तत्काल समाधान निकालने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, जिससे ग्रामीणों को राहत मिल सके और उन्हें स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो।

रेंगाबोड गांव में पानी की समस्या बेहद गंभीर हो गई है। गांव में लगभग 7-8 हैंडपंप हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश सूख गए हैं और कुछ पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है। नदी के सूख जाने के कारण पालतू जानवरों को पानी पिलाने में भी मुश्किलें हो रही हैं। नल जल योजना के तहत नल तो लगाए गए हैं, लेकिन उनमें पानी उपलब्ध नहीं है। 

ग्रामीण महिलाओं को केशलमरा पारा और दुल्लापुर पारा से हंडी में पानी भरकर लाना पड़ रहा है, जो बहुत ही कठिन कार्य है। ग्रामीणों ने जल संकट को लेकर प्रशासन को निवेदन कर अपनी समस्या से अवगत कराया है, लेकिन अब तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है। 

यह स्थिति प्रशासनिक उदासीनता और जल प्रबंधन की गंभीर खामियों को दर्शाती है। प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है, जैसे:

सूखे हैंडपंपों की मरम्मत और नए हैंडपंपों की स्थापना

सूखे हैंडपंपों की जांच कर उन्हें पुनः चालू करने का प्रयास करना चाहिए और जहां जरूरत हो, नए हैंडपंप लगाए जाने चाहिए।

जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग

बारिश के पानी को संचित करने और भूजल स्तर बढ़ाने के लिए उपाय किए जाने चाहिए।

नल जल योजना का सही क्रियान्वयन

नल जल योजना के तहत लगाए गए नलों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए।

दबंगों से हैंडपंपों का मुक्तिकरण

जिन हैंडपंपों पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है, उन्हें मुक्त कर ग्रामीणों के उपयोग के लिए उपलब्ध कराना चाहिए।

जल टैंकरों की व्यवस्था

जब तक स्थायी समाधान नहीं निकलता, तब तक जल टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जानी चाहिए।

प्रशासनिक निगरानी

ग्रामीणों की समस्याओं को हल करने के लिए प्रशासन को सक्रियता से कार्य करना चाहिए और नियमित रूप से स्थिति की निगरानी करनी चाहिए।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."