सुरेंद्र मिन्हास की रिपोर्ट
चान्दपुर:– कल्याण कला मंच बिलासपुर की मासिक संगोष्ठी बामटा के गांव बध्यात के साकेत होम स्टे में गत दिन संपन्न हुई । सन्गोष्ठी की अध्यक्ष्ता सेवा निवृत्त प्रधानाचार्य जीत राम सुमन ने की जबकि बीना वर्धन और रविंद्र कुमार शर्मा विशिष्ट अतिथि के रुप में शामिल हुए । मन्च का संचालन राकेश मिन्हास ने किया ।
सर्वप्रथम केप्टन बिरी सिंह चंदेल ने सुनाया-
जिन्दे लकडी मरदे लकडी,देख तमाशा लकडी दा,
इसके बाद अमरनाथ धीमान ने-
जाहण सूरज चमकणा चिलकदीये धुप्पे, तौंदीया देख्या केहर मचाणी
सुशील कुमार परिंदा ने-
जंगल जंगल आग लगी है, मैं तो परिंदा हूं जल गया,
बाहरवीं की आशा कुमारी ने-
सारे अपनी दुनिया में मस्त हैं, उधर पापा खांसते रह जाते हैं,
रविंद्र कमल चंदेल ने-
पन्यांदां बाईं री ख्वाजे री करां थे पूजा, दलिया बन्डदे थे सारे,
गायित्री देवी ने सुन्दर भजन-
मेरा श्याम बिन्दरा बणा ते नठी गया, दस्स माई से हुण किती गया,
सुरेन्द्र मिन्हास ने सुनाया-
शिखर ध्याडे असें कजो खेतां गये थे, कजो नी असें पक्खे थल्ले सये थे,
कुमारी पूजा ने सुंदर गीत सुनाया-उच्चेआं पहाडां रा देखी लेणा असां नजारा,
अजय सौरभ नें सुनाया-
हम देश का भाग्य हैं हम हैं देश के कर्णधार आज रहे पुकार,
तब मंच संचालक राकेश मिन्हास ने-
ऐरे गैरे नत्थू खेरे पढने लगे हैं सभी,तुम्हें अखबार होना चाहिये,
विशिष्ट अतिथि रविंदर कुमार शर्मा ने-बिलासपुर शब्द के सन्धि छेद कर सुन्दर अर्थ प्रकट किया,
बीना वर्धन ने -चलो एक बार फिर जी कर देखते हैं,
और अन्त में कार्यक्रम के अध्यक्ष जीत राम सुमन नें कार्यक्रम को बहुत प्रभाव शाली बताया और अपनी रचना में पर्यावरण पर चिन्ता यूं बयां की-मैं पर्या वरण हू जल मण्डल का आवरण हूं ।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."