नितेश कटियार की रिपोर्ट
कानपुर: यूपी के कानपुर में प्रोबेशन विभाग के एक बाबू की लापरवाही के कारण 78 साल की महिला को दो साल और जेल में रहना पड़ा। उत्तर प्रदेश सरकार ने दहेज हत्या के मामले में उनकी आजीवन कारावास की सजा में छूट के बाद रिहा करने का आदेश दिया था। शासन का आदेश जिला प्रोबेशन विभाग आ गया, लेकिन बाबू ने ध्यान ही नहीं दिया। गत सोमवार को महिला की रिहाई से जुड़ी फाइल डीएम के पास पहुंची तो पूरा मामला खुल गया। डीएम ने क्लर्क को जमकर फटकार लगाई है।
डीएम राकेश कुमार सिंह ने बताया कि क्लर्क के निलंबन की सिफारिश की गई है। उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। महिला को रिहा करने के लिए कहा गया है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नौबस्ता निवासी सुमित्रा की माफी याचिका को स्वीकार करते हुए 2022 में रिहाई आदेश जारी किया था। इसमें दो-दो लाख रुपये की दो जमानतें लगाने का आदेश दिया गया।
सुमित्रा ने गरीबी का हवाला देते हुए जमानत राशि जमा करने में असमर्थता जताई। तहसीलदार ने जांच की और पाया कि महिला की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। गरीबी को देखते हुए शासन ने जुलाई, 2023 में बगैर जमानत राशि के रिहाई करने के आदेश दिए।
10 महीने तक लटकाए रखा फाइल
जिला प्रोबेशन दफतर में तैनात जिला परिवीक्षा काउंटर सहायक आशीष कुमार ने मंजूरी के लिए फाइल डीएम को भेजने के बजाय 10 महीने तक अपने पास रखा।
गौरतलब है कि दहेज हत्या के एक मामले में सुमित्रा और उसके परिवार के सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उनके पति की जेल में मृत्यु हो गई, जबकि बेटा संतोष जेल में है।
Author: samachar
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