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November 1, 2024 3:55 pm

बदलते जातीय समीकरण ने नींद उड़ा दी है भाजपा की ; ब्राम्हण वोटों के भरोसे अन्य प्रत्याशी

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आत्माराम त्रिपाठी और संतोष कुमार सोनी की रिपोर्ट

बांदा। बांदा चित्रकूट लोकसभा में चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे ही जाति समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं। अभी तक मुकाबला लोकसभा सभा में त्रिकोणी दिख रहा था, लेकिन अब भाजपा तीसरे नंबर पर दिख रही है।

पटेल प्रत्याशी दो होने के चलते पटेल बिरादरी का वोट दो भागों में बांट रहा है। सपा के प्रत्याशी कृष्णा देवी की तरफ पटेल बिरादरी और यादव बिरादरी की वोट आ रही है। जबकि पूरे लोकसभा में इस बार भाजपा पूरी तरह से कमजोर दिख रही है, पटेल बिरादरी की वोट बढ़ जाना और बसपा से ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में उतरने से ब्राह्मण बसपा की तरफ झुक रहा है। जिससे पूरे लोकसभा में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी की आमने-सामने टक्कर दिख रही है।

नरैनी विधानसभा क्षेत्र का अतर्रा कस्बा एक जमाने में आर्थिक रूप से चावल मिलों के लिए जाना जाता था। यहां करीब एक दर्जन चावल मिले थी, जो अब पूर्ण रूप से बंद है। यहां का चावल विदेश में जाता था। 

आजादी के बाद इस क्षेत्र का अपेक्षित विकास नहीं हुआ इसीलिए इस क्षेत्र की गणना पिछड़े क्षेत्र के रूप में की जाती है। राजनीतिक लिहाज से यहां कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा रहा है। यहां के डॉक्टर सुरेंद्र पाल वर्मा कम्युनिस्ट के टिकट पर पांच बार विधायक बन चुके हैं।

इसके बाद कांग्रेस भाजपा के तीन-तीन बार विधायक चुने जा चुके हैं। वहीं बहुजन समाज पार्टी ने भी दो बार इस सीट पर नीलम पर नीला परचम फहराया है। 

इसी क्षेत्र के रहने वाले जन अधिकार पार्टी के बाबू सिंह कुशवाहा ने नरैनी विधानसभा क्षेत्र के अतर्रा के समीप राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित कराया। सरकारी महाविद्यालय के नाम पर एक पीजी कॉलेज है। 2011-12 के नए परसीमन के बाद यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दी गई है। इसी क्षेत्र से बसपा के गया चरण दिनकर और पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी चुनाव जीत चुके हैं। यह स्थान इसलिए भी खास है क्योंकि बसपा के लोकसभा प्रत्याशी मयंक द्विवेदी भी इसी कस्बे के रहने वाले हैं।

दो बार से इस सीट पर कब्जा जमाए बीजेपी हैट्रिक लगाने का ताना-बाना बुन रही है, तो वही सपा कांग्रेस और बसपा अपना खोया हुआ जनाधार वापस पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इन सभी दलों ने नरैनी विधानसभा क्षेत्र के अतर्रा कस्बे को सियासी अखाड़ा बना दिया है। सभी स्टार प्रचारक इसी स्थान से सियासी तीर छोड़कर अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत की बिसात बिछा रहे हैं।

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बांदा में ज्यादातर स्टार प्रचारकों की जनसभाएं राइफल क्लब मैदान, राजकीय इंटर कॉलेज ग्राउंड या फिर जहीर क्लब मैदान में होती रही है। 

2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा कृषि विश्वविद्यालय से लगे खेतों पर हुई थी। जबकि कांग्रेस के शासनकाल में प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह ने राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में जनसभा संबोधित की थी।

इसी मैदान से पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और राहुल गांधी जैसे तमाम स्टार प्रचारक जनसभाएं संबोधित करते रहे हैं। लेकिन इस बार सभी स्टार प्रचारकों ने बांदा से दूरी बनाकर अतर्रा को सियासी अखाड़ा बना दिया है। यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 13 मई को जनसभा संबोधित कर चुके हैं। बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने उसी स्थान से हुंकार भरी जहां से दो दिन पहले योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर सियासी हमले किए थे। मायावती के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की रैली है। वह गुरुवार को इसी स्थान से सत्ता पक्ष को निशाने पर लेकर सियासी हमले करेंगे।

बांदा चित्रकूट संसदीय क्षेत्र में लगभग 3 लाख ब्राह्मण मतदाता है। इनमें सर्वाधिक ब्राह्मण मतदाता नरैनी विधानसभा क्षेत्र में है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ब्राह्मणों को अपने पाले में लाने के लिए अतर्रा कस्बा को चुना। ब्राह्मणों के अलावा इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की भी बड़ी संख्या है। इस तरह मायावती ने ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के मतदाताओं को एकजुट करने के लिए जनसभा के लिए इस स्थान का चयन किया है।

यह स्थान भारतीय जनता पार्टी के लिए भी खास मायने रखता है। क्योंकि ब्राह्मण मतदाता इस समय भाजपा का परंपरागत मतदाता बना हुआ है। भाजपा को इस बात का खतरा है कि कहीं ब्राह्मण मतदाता बसपा के खेमे में न चला जाए। इसी वजह से भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी की अतर्रा में जनसभा कराई। सपा कांग्रेस को स्थिति इस क्षेत्र में कुछ खोने के लिए नहीं है लेकिन भाजपा और बसपा के स्टार प्रचारकों के सियासी हमले का जवाब देने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव की जनसभा का कार्यक्रम आयोजित किया गया है।

पांचवें चरण का रण तैयार है। यहां 20 मई को मतदान होना है। चुनाव प्रचार के लिए अब सिर्फ 3 दिन शेष बचे हैं। अगर किसी दल से कोई अन्य स्टार प्रचारक नहीं आता। तो इस बार अतर्रा में शुरू हुई सियासी लड़ाई अतर्रा में ही समाप्त हो जाएगी।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."