.वल्लभ लखेश्री की खास रिपोर्ट
एक महान व्यक्तित्व कड़ी मेहनत ,मजबूत चरित्र ,ईमानदारी, निष्पक्षता और आत्म अनुशासन जैसे पंच गुणों से परिपूर्ण होता है। वे अपने व्यक्तित्व की महत्ता का परिचय दूसरों के प्रति सम्मान, विश्वास एवं साहस दिखा कर देते हैं ।दूसरा उनका व्यक्तित्व सदैव संजीव , संजीदगी और सकारात्मक से सरोबार होता है।
इसी संदर्भ को चरितार्थ करने वाले किरदार का जिक्र यहां कर रहा हूं जिसे दूर-दूर तक समाज की नामी हस्तियों के साथ तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो सर्वोच्च शिखर को सुशोभित कर रहे हैं।
जी हां वह साजिदा एवं सफल किरदार है कुलपति प्रोफेसर श्यामलाल जैदिया जिन के गगनचुंबी हौसले और सतरंगी सपनों ने अनेक लोगों के जज्बात जगाकर कुछ करने ,कुछ हासिल करने को प्रेरित किया है। प्रोफेसर साहब हालतों की ठोकरें एवं वक्त की भट्टी में तप तप कर कुंदन बन चुके हैं ।आप हर पायदान पर इन पंक्तियों को उद्धृत कर रहे हैं कि
जर्रों में रह गुजर के,चमक छोड़ जाऊंगा। पहचान अपनी दूर तलक छोड़ जाऊंगा।
इनके जीवन के मुख्य तीन व्यसन रहे हैं- प्रथम अपने दायित्व का सफल निर्वाहन ,दूसरा विद्याभ्यास और तीसरा दलित समाज की पीड़ा को कागज पर उकेरना।
इन त्रिवेणी संगम की धारा ने प्रोफेसर श्यामलाल कुलपति को एक श्रेष्ठ चेयरपर्सन, महान विचारक एवं प्रखर लेखक बना दिया । मुझ सहित अनेक लोगों के मानस पटेल पर कुलपति जी की विद्वत्ता , सज्जनता एक स्पष्टवादिता की हमेशा अमिट छाप छोड़ी हैं।
साधारण परिवेश का बेमिसाल किरदार
नाम प्रोफेसर श्यामलाल, जन्म 20/12/1944 ,स्थान- लखारों का बास, जोधपुर। पिता श्री बन्शीलाल, मातोश्री श्रीमती भानीबाई । पिता रेल्वे वर्कशॉप में सफाई कर्मचारी एवं माता निगम जोधपुर में सफाई कर्मचारी थे। परिवार में आप के अलावा तीन भाई और तीन बहनें।
प्रोफेसर जैदिया की प्रारंभिक शिक्षा हायर सेकेण्डरी तक न्यू गोरमेन्ट स्कूल जोधपुर और उच्च शिक्षा जोधपुर विश्वविद्यालय जोधपुर में सम्पन्न हुई। आपने अपने पसंदीदा विषय समाज शास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की।
शानदार आगाज ए सफर
इस बात से भी नहीं नकारा जा सकता कि सामाजिक विभेदता और जातिय सकिंर्णता का दंश पग पग पर उद्वेलित करता रहा। बावजूद भी उन चुनौतियों को अवसर में तब्दील करने के हुनर ने आप के जुनून ने बढ़ते कदमों को डगमगाने नहीं दिया।
प्रथम पद स्थापना ,व्याख्याता समाजशास्त्र सिरोही से शुरूआत। बाद में काजरी जोधपुर में टेक्निकल असिस्टेंट के पद पर सेवाएं दी ।1971 में आर पी एस सी द्वारा व्याख्याता पद पर चयनित होकर चित्तौड़ में अपनी सेवाएं दी । इसी दौरान यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन में होम मंत्रालय और आईबी में चयनित हुए।
1989 से राजस्थान विश्व विद्यालय में समाज शास्त्र विषय में प्रोफेसर के पद पर चयनित होकर 1996 में जोधपुर विश्वविद्यालय में कुलपति(VC) के पद पर आसीन होकर देश में वाल्मीकि समाज के पहले कुलपति होने का गौरव हासिल किया। 2002 से 2004 तक राजस्थान विश्वविद्यालय में कुलपति (VC)के पद को सुशोभित किया।
बुलंदियों का सफर नामा
प्रोफेसर श्यामलाल कुलपति का व्यक्तित्व एक से बढ़कर एक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अंलकारों से विभूषित रहा हैं। 2003-4 व 5 मे गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया द्वारा अंबेडकर नेशनल फैलोसिपी से नवाजा गया। 2007 में अम्बेडकर फाउंडेशन ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन रहे। 2008 में पटना विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय वाइस चांसलर काउंसलिंग में भाग लिया।
2007में कनाडा, 2009 में लन्दन , 2010 में मलेशिया में अन्तर्राष्ट्रीय वाईस चांसलर काउंसलिंग में भाग लिया।
लेखनी की आकुलता
जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया गया है लेखन कार्य प्रोफेसर साहब की तासीर रही है। आपकी कलम सदैव शोषित ,पीड़ित और दलित दास्तां की हमसफर रही है। अपने दलित समाज की विभिन्न जातियों एवं उपजातियां पर दर्जनों पुस्तकें लिखी है। आप द्वारा लिखित कॉस्ट इन इंडिया में आठ राज्यों की दलित जातियों की स्टडी एक मार्मिक झांकी देखी जा सकती हैं।
इंदौर कान्फ्रेंस में अंबेडकर ऑर्गेनाइजेशन कनाडा द्वारा आपको सम्मानित किया गया। भारतीय रेंगर समाज की दिशा और दशा पर लिखी पुस्तक के उपलक्ष में रामानंदाचार्य अंतर्राष्ट्रीय पीठ द्वारा ₹100000 और प्रशस्ति पत्र द्वारा आपको नवाजा गया।
इस प्रकार पूर्व कुलपति सम्मानित श्यामलाल जैदिया की काबिलियत के किस्सों की अनवरत कहानी है जो कहीं रूकने थमने का नाम भी नहीं लेती। पठन और लेखन आपकी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गया है। समाजिक उत्थान और शैक्षणिक उन्नयन के हर प्रोग्राम में प्रोफेसर साहब की सहभागिता देखते ही बनती है।
उम्र के इस पड़ाव में भी प्रोफेसर श्याम लाल जी सदैव चिंतनशील रहकर समाज में शिक्षा के महत्व का बिगुल बजाकर एक महान समाज शास्त्री एवं समाजसेवी की भूमिका में देखें जा सकते हैं।
हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे सदा उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु हो।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."