इरफान अली लारी की रिपोर्ट
एक बेटा जो अपने अधिकारी पिता के हाव-भाव को अच्छे से सीख रहा था और यह सब सीखकर वह एक शातिर महाठग बन गया। वह फर्जी अधिकारी बन गया और दूर-सुदूर इलाकों में जाकर ग्रामीणों से करोड़ों रुपये की ठगी करने लगा। सरकारी योजनाओं के गांव पहुंचने से पहले ही वह खुद सरकारी अधिकारी बनकर गांवों में जाता था और लोगों को अपना शिकार बना लेता था। पुलिस को उसे पकड़ने में पसीने छूट गए और आखिरकार अब वह पुलिस की गिरफ्त में है।
ये कहानी है फ्रॉड दीपक श्रीवास्तव की, जो कि कई जिलों की पुलिस के लिए किसी सिरदर्द की तरह था। दीपक श्रीवास्तव के खिलाफ रांची समेत कई जिलों में आर्थिक अपराध के गंभीर केस दर्ज हैं लेकिन उस तक पहुंचने में पुलिस को लंबा समय लग गया।
वह आरोपी कभी कृषि विभाग का अधिकारी बन जाता या कभी बैंक का अधिकारी। अधिकारी बनने के बाद वह मासूम ग्रामीणों को अपना शिकार बनाता था। अब रांची पुलिस ने उसे कड़ी मशक्कत के बाद गिरफ्तार कर लिया है
सरकारी योजनाओं के नाम पर लोगों से करता था ठगी
दिलचस्प बात यह है कि अगर कोई योजना सरकार द्वारा लॉन्च होती है, तो सरकार के पहुंचने से पहले फ्रॉड के इरादे से वह खुद गांव पहुंच जाता था। दीपक उन योजनाओं को लेकर सुदूर गांवों में लोगों को उसके फायदे बताता और उनसे खूब पैसे योजना के नाम पर लूट लेता।
ठगी के चलते चली गई थी नौकरी
जानकारी के मुताबिक दीपक श्रीवास्तव मूल रूप से बिहार के आरा जिले का रहने वाला है। उसके पिता रेंजर थे और इसी के चलते उसे अधिकारियों का रहन-सहन और अंदाज अच्छे से जानता था। उसके पिता की मृत्यु के बाद उसे वन विभाग में नौकरी मिल गई थी। उसकी ठगी की आदत ने उससे नौकरी छीन ली लेकिन फिर भी उसने लोगों को ठगना नहीं छोड़ा।
नौकरी जाने के बाद उसने हर एक अपराध के लिए नई टीम बनाई थी और पेशेवर तरीके से लोगों को चुन-चुन उनके साथ धोखाखड़ी करता था। इस मामले में रांची एसएसपी चंदन कुमार ने बताया कि दीपक पहले भी ठगी के केस में जेल जा चुका है लेकिन वह निकलने के बाद फिर वहीं काम करने लगा था। रांची में उसके खिलाफ 7 केस दर्ज हैं, इसके अलावा उसने अन्य जिलों में भी खूब ठगी की है।
सूत्र बताते हैं कि अब तक उसने करीब 25-30 करोड़ रुपये की ठगी कर रखी है, फिलहाल अभी भी पुलिस इस मामले की जांच में जुटी हुई है।
Author: कार्यकारी संपादक, समाचार दर्पण 24
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