आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
जमानत… जरा सोचकर देखिए… अखबार के पन्नों में आपको खबर पढ़ने को मिले कि एक ही कोर्ट से दो महीनों के भीतर 2000 से ज्यादा मुल्जिमों को जमानत मिल गई। हो सकता है, आपको लगे कि कोर्ट बहुत तेजी से काम कर रही है। आप ये भी सोच सकते हैं कि शायद इन मुल्जिमों के खिलाफ पुलिस को सबूत नहीं मिले होंगे। लेकिन, क्या आप ये सोच सकते हैं कि जमानत देने वाला असली नहीं, बल्कि नकली जज था। और, जिन-जिन मुल्जिमों को उसने जमानत दी, वो सब उसके दोस्त या फिर साथी थे। चौंकिए मत, ये कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है। जिस शख्स ने नकली जज बनकर ये फैसले सुनाए, उसका नाम था धनीराम मित्तल।
85 साल के धनीराम मित्तल नहीं रहे। उनके निधन पर नि:संदेह किसी को शक नहीं। लेकिन कोर्ट, कानून और अलग-अलग राज्यों की पुलिस ‘मौत’ की खबर पर आसानी से यकीन नहीं करने वाली। वजह, क्या पता इसमें भी कोई ‘चार सौ बीसी’ हो। लिहाजा कोर्ट भी और पुलिस भी ‘निधन’ के समाचार को कंफर्म जरूर करेगी क्योंकि, छह दिन बाद इसी 26 अप्रैल को रोहिणी कोर्ट में धनीराम मित्तल की पेशी थी। 2010 के रानी बाग थाने के एक पुराने केस में गैरहाजिर रहने पर उनका NBW निकला हुआ है। हाल ही में धनीराम एक पुराने केस में चंडीगढ़ की जेल में 2 महीने की कैद काटकर आए थे।
भारत का चार्ल्स शोभराज तो कभी ‘सुपर नटरवरलाल’ कहे जाने वाले धनीराम मित्तल का हार्ट अटैक से गुरुवार को देहांत हुआ। परिवार ने निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया। बेशक धनीराम अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके ‘अहिंसक’ कारनामों की लंबी फेहरिस्त और किस्से दिल्ली ही नहीं यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान समेत अनेकों राज्यों की ‘पुलिस फाइलों’ में उन्हें जिंदा रखेंगे। उनके अनेको अनूठे किस्सों की वजह से अक्टूबर 2022 में बॉलीवुड के एक बड़े डायरेक्टर ने धनीराम की बायोग्राफी पर उनके साथ फिल्म साइन की। बहुत जल्द ही धनीराम पर बनी फिल्म रिलीज होगी। फिल्म साइन के दौरान NBT रिपोर्टर से रूबरू होते हुए धनीराम ने उन सभी किस्सों को हसंते मुस्कुराते हुए बताया जो तमाम वेबसाइटों पर समाचारों की सुर्खियां हैं। साथ ही बड़ी साफगोई से कहा ‘मैं अहिंसक अपराधी हूं… किसी को शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचाया, लोग खुद धोखा खाते हैं’।
जालसाजी के उसके किस्सों की लिस्ट बहुत लंबी है। लेकिन, इनमें सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाला मामला वही था, जब वो नकली जज बन बैठा। बात 1970 के दशक की है। हरियाणा में झज्जर के एडिशनल जज के खिलाफ किसी मामले में विभागीय जांच के आदेश हो गए। धनीराम को जब इस बात का पता चला तो उसने एडिशनल जज के बारे में सारी जानकारी इकट्ठा की। कहीं से उसने, उनका एड्रेस भी खोज निकाला।
एडिशनल जज के घर भेजी छुट्टी की नकली चिट्ठी
कुछ दिन बाद एडिशनल जज के घर एक लिफाफे में चिट्ठी पहुंची। चिट्ठी पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के साइन थे और मुहर भी लगी थी। एडिशनल जज को संबोधित करते हुए चिट्ठी में लिखा था, जब तक आपके खिलाफ चल रही विभागीय जांच पूरी नहीं होती, तब तक 2 महीने के लिए आपको छुट्टी पर भेजा जाता है। आदेश के मुताबिक एडिशनल जज ने 2 महीने के लिए कोर्ट जाना बंद कर दिया। ये चिट्ठी एडिशनल जज के पते पर धनीराम मित्तल ने भेजी थी। धनीराम के अंदर एक हुनर कुदरती थी। वो किसी के भी हूबहू साइन कर सकता था। किसी विभाग की मुहर बनवाना भी उसके लिए मुश्किल नहीं था।
धड़ाधड़ मंजूर की जमानत की अर्जियां
अब धनीराम ने एक चिट्ठी हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से झज्जर जिला कोर्ट को भेजी। इसमें लिखा था कि एडिशनल जज के खिलाफ विभागीय जांच पूरी होने तक एक नए जज कार्यभार संभालेंगे। अगले ही दिन धनीराम जज की ड्रेस पहनकर कोर्ट पहुंच गया। किसी को एहसास ही नहीं हुआ, कि जो शख्स जज की कुर्सी पर बैठा है, वो एक ऐसा चोर है, जो अलग-अलग राज्यों में 1000 से ज्यादा गाड़ियां चुरा चुका है। इसके बाद कोर्ट में हर दिन जमानत की अर्जियां आने लगीं। धनीराम ने धड़ाधड़ फैसले सुनाए और जमानत मंजूर करता गया।
पोल खुलने से पहले फरार हो गया धनीराम
नकली जज बनकर धनीराम ने दो महीने तक 2 हजार से भी ज्यादा कैदियों को जमानत दी। जिन्हें उसने जमानत दी, वो सभी या तो उसके दोस्त थे, या फिर चोरी में उसके साथी। दो महीने तक किसी को भनक नहीं लगी कि फैसले सुनाने वाला जज नकली है। जब लगा कि उसकी पोल खुलने वाली है, धनीराम फरार हो गया। ये धनीराम का केवल एक किस्सा था। पुलिस की फाइलों में उसके किस्से भरे पड़े हैं। वो इतना शातिर था, कि उसे कभी सुपर चोर तो कभी सुपर नटवरलाल के नाम से बुलाया जाता था।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."