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November 22, 2024 2:19 pm

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ब्रज के मतदाताओं ने दलीय लहरों को भी रोकने का काम किया ; बडे़ बडों को दी है पटखनी

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

2009 के लोकसभा चुनाव में एटा संसदीय सीट से कल्याण सिंह जीते थे। तब कल्याण सिंह ने भाजपा से बगावत करके अलग पार्टी बनाई थी। यह उनके राजनीतिक वजूद और कद की परीक्षा थी। उसके बाद से लगातार कल्याण के नाम पर यहां के मतदाता प्रत्याशी को चुनाव जिता रहे हैं। 

मथुरा सीट 1991 से 1999 तक भाजपा के पास रही। कान्हा की नगरी में मतदाताओं का जब मूड बदला तो भाजपा का गढ़ ढहा दिया और 2004 में कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह को जिता दिया। 2009 में लोकदल के जयंत चौधरी जीते। 

2014 में मोदी लहर ने कमाल दिखाया और कान्हा की नगरी से हेमा मालिनी ने फिर कमल खिला दिया। 2019 में वो दुबारा जीत गईं। अब हैट्रिक बनाने की तैयारी के साथ फिर मैदान में हैं। 

आगरा सीट पर भाजपा ने 2019 का चुनाव प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल को लड़ाया था। बघेल लोकसभा फिरोजाबाद सीट से लगातार दो चुनाव हार चुके थे। इसके बाद भी भाजपा ने उन पर भरोसा करके 2019 का चुनाव लड़ाया। यह बड़ा बदलाव था लेकिन मतदाताओं में भाजपा का साथ दिया और बघेल को जिता दिया था।

वोट की चोट से मतदाताओं ने दिग्गजों को हराया भी है और जिताया भी है। मजबूत किलों को ढहाने का काम भी मतदाताओं ने ही किया है। 

दलीय लहर, दलों के वादे और इरादे मतदाताओं को प्रभावित जरूर करते हैं लेकिन ब्रज की माटी में दलीय लहरों को भी मतदाताओं ने रोकने का काम किया है।

लुभावने वादों की मजबूत चट्टान से प्रभावित हुए बगैर इरादों को तोड़ने का काम ब्रज के मतदाताओं ने किया है। मतदाताओं का रुझान जब करवट लेता है तो दिग्गज भी हार जाते हैं।

2014 के चुनाव में कांग्रेस भ्रष्टाचार के आरोपों से चारों तरफ से घिरी हुई थी। भारतीय जनता पार्टी सत्ता पाने की तैयारी कर रही थी। पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल था। मोदी-मोदी का नारा हर तरफ गूंज रहा था। घर-घर मोदी का नारा लग रहा था। 

2014 में सपा का किला ढहाने के लिए भाजपा प्रत्याशी प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल के लिए नरेंद्र मोदी ने फिरोजाबाद में भी चुनावी जनसभा की थी। मतदाताओं के रुझान का ही असर था कि फिरोजाबाद इस लहर से प्रभावित नहीं हुआ।

समाजवादी पार्टी के अक्षय यादव यहां से चुनाव जीत गए थे। 2019 में भी फिरोजाबाद में चौंकाने वाला परिणाम आया। 2019 के चुनाव में वोट की ऐसी चोट दी गई कि समाजवादी पार्टी का मजबूत किला भी ढह गया। 

एक साधारण से कार्यकर्ता डॉक्टर चंद्रसेन जादौंन ने सपा के दिग्गज नेता राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव को हरा दिया। मतदाताओं के बदले मूड ने मुरझाए कमल को खिला दिया। इसे मतदाताओं की ताकत ही कहेंगे कि मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में किसी लहर का दशकों से असर नहीं पड़ा है। 

मोदी की सुनामी में भी यहां से समाजवादी पार्टी लगातार चुनाव जीत रही है। मतदाता मुलायम के परिवार पर भरोसा करते हुए लगातार सपा के प्रत्याशी जीत रहे हैं। 2009 के उप चुनाव में तो फिरोजाबाद सीट से देश की सियासत को प्रभावित करने वाला फैसला आया।

पार्टी का नहीं था वजूद तब भी राज बब्बर जीत गए थे

यूपी में कांग्रेस हाशिए पर थी तब भी कांग्रेस के टिकट पर फिल्म अभिनेता राज बब्बर चुनाव जीत गए थे। सैफई परिवार की बहू डिंपल यादव चुनाव हार गई थीं। उप चुनाव में सपा का किला ढहाने की ताकत राज बब्बर को जिले के मतदाताओं ने ही दी थी। क्योंकि जिस दल (कांग्रेस) से वह चुनावी मैदान में उतरे थे उसका सियासी प्रभाव वर्षों से हाशिए पर ही था। तब सपा के गढ़ में डिंपल यादव की हार से देश की सियासत में हलचल पैदा हो गई थी। 

राजनीति के जानकार कहते हैं कि यह लोगों की वोट की ताकत थी कि फिरोजाबाद में अप्रत्याशित नतीजा आया था।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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