दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
लखनऊ: बीजेपी अपने फैसलों से हमेशा चौंकाती रहती है। मंगलवार को कुछ ऐसा ही एक बार फिर देखने को मिला, जब हरियाणा राज्य में सीएम चेहरे के लिए ओबीसी (पिछड़ा) नेता नायब सिंह सैनी को चुना। 2014 में भी बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाकर सबको चौंका दिया था। बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। सैनी पिछड़ी जाति से आते हैं।
उत्तर भारत में पिछड़ी जातियों को काफी दबदबा है। इनमें सैनी, मौर्य और कुशवाहा ठीकठाक अपनी जगह रखते हैं। वहीं, चर्चा है कि मनोहर लाल खट्टर लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
हरियाणा में सीएम भले बदला हो, लेकिन इसका हरियाणा ही नहीं यूपी तक में दिखाई पड़ेगा। बीजेपी ने हरियाणा के तीर से यूपी तक निशाना साध लिया है।
इससे पहले बीजेपी ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को सीएम बनाकर ओबीसी वोटरों में सेंध लगाने का प्रयास किया। ओबीसी जातियों में यादव भी आते हैं, इसलिए बीजेपी ने मोहन यादव को सीएम बनाकर बड़ा दांव चला था।
अब हरियाणा में सैनी चेहरे को सीएम बनाकर बीजेपी शाक्य, सैनी, मौर्य और कुशवाहा को संदेश दिया है। हमेशा से हरियाणा में जाटों को लेकर राजनीति रही है, लेकिन बीजेपी ने ओबीसी चेहरा उतार कर कहीं न कहीं उत्तर भारत में ओबीसी वोटरों को साधने का काम किया है।
यूपी में जातीय समीकरण
उत्तर प्रदेश में 52 फीसदी ओबीसी वोटर हैं। यादव और गैर यादव में ओबीसी वोटर बंटे हैं। यूपी में 11 फीसदी यादव वोटर हैं, जबकि गैर यादव 42 फीसदी हैं। ओबीसी में यादव जाति के बाद सबसे ज्यादा कुर्मी वोटर हैं। इसके बाद मौर्य और कुशवाहा आते हैं। इसके बाद लोध जाति के वोटर आते हैं।
ओबीसी में पांचवीं सबसे बड़ी जाति मल्लाह (निषाद) आते हैं। दलितों में सबसे ज्यादा जाटव आते हैं। इसके बाद पासी और वाल्मीकि आते हैं।
अगर यूपी में सवर्ण की बात करें तो 23 फीसदी हैं, जिसमें 11 फीसदी ब्राह्मण, आठ फीसदी राजपूत और दो फीसदी कायस्थ हैं। वहीं, मुस्लिम जनसंख्या के लिहाज से यूपी देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। यूपी में 20 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं।
Author: samachar
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