चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
गोंडा। धर्म और जाति के आधार पर गोंडा लोकसभा सीट जीतने के जुगाड़ में समाजवादी पार्टी ने नए चेहरे को गोंडा में उतार दिया है। समाजवादी पार्टी ने युवा चेहरा श्रेया वर्मा को गोंडा लोकसभा से प्रत्याशी बनाया है।
सपा जिलाध्यक्ष अरशद हुसैन ने जीत के फार्मूले को भी धार्मिक और जातीय आधार बताया। दो दिन पहले पहली बार श्रेया वर्मा का गोंडा में आगमन हुआ था। इस मौके पर टाउन हॉल में समाजवादी पार्टी द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर धीरे-धीरे सरगर्मी तेज होने लगी है। समाजवादी पार्टी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की पौत्री श्रेया वर्मा को गोंडा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 2009 में बेनी प्रसाद वर्मा गोंडा लोकसभा सीट से सांसद थे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपा ने धर्म और जातीय समीकरण के आधार पर इस सीट को जीतने के लिए नया दांव लगाया है। सपा की प्रत्याशी बनने से 2 दिन पहले श्रेया वर्मा गोंडा पहुंची थी। उन्होंने टाउन हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित किया था।
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने जातीय जनगणना की बात कही थी। चुनाव के इस माहौल में उनका यह बयान ओबीसी एससी और एसटी वोटरों को लुभाने का कदम माना जा रहा है। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष अरशद हुसैन भी जातीय समीकरण के आधार पर चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं।
गोंडा लोकसभा सीट में पांच विधानसभा की सीट आती हैं। जिसमें गोंडा सदर, मेहनौन, उतरौला, मनकापुर, गौरा विधानसभा है। मेहनौन, उतरौला, और गौरा क्षेत्र मुस्लिम और कुर्मी बाहुल्य है। इन पांचो विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है। इनमें सदर विधानसभा सीट से प्रतीक भूषण सिंह मेहनौन विधानसभा सीट से विनय द्विवेदी उतरौला विधानसभा सीट से रामप्रताप वर्मा और गौरा विधानसभा से प्रभात वर्मा बीजेपी के विधायक हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी को कुर्मी वोट साधने में पसीने छूट सकते हैं।
फिलहाल जातीय समीकरण क्या गुल खिलते हैं। इस विषय में अभी कुछ कहना काफी मुश्किल है। फिलहाल समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशी की घोषणा करके राजनीतिक सरगर्मी में तेज कर दी है।
श्रेया वर्मा के लिए पहली चुनौती
अयोध्या से सटे गोंडा लोकसभा सीट पर राम लहर का अच्छा खासा प्रभाव है। इस लहर में हिंदू वोटरों में सेंध लगाना मुश्किल है। भाजपा से दो विधायक प्रभात वर्मा गौरा विधानसभा और उतरौला विधानसभा से राम प्रताप वर्मा हैं, जो वर्मा वोटरों को बिखरने नहीं देंगे। दूसरी चुनौती श्रेया वर्मा के लिए बाहरी होने का भी है। श्रेया बाराबंकी जिले से हैं। यहां की जनता समाजवादी पार्टी के सम्भावित प्रत्याशी को स्वीकार करेगी या नहीं यह भी एक बड़ा सवाल है।
दूसरी सबसे बड़ी चुनौती
अपने स्वर्गीय बाबा बेनी प्रसाद वर्मा के शिलान्यास सांसद के ठप्पे को हटा पाना दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है। 2009 लोकसभा चुनाव में बेनी प्रसाद वर्मा गोंडा से ही सांसद थे।
सांसद बनने के बाद बेनी प्रसाद ने कई प्रोजेक्ट का शिलान्यास गोंडा में किया था। इन्हीं में से एक प्रोजेक्ट का शिलान्यास 2014 में हुआ, जो काफी विवादों में रहा। यह प्रोजेक्ट पॉवर प्लांट का था। चुनावी साल में बेनी बाबू ने आचार संहिता लगने से महज एक दिन पहले शहर से तीस किलोमीटर की दूरी पर एक पॉवर प्लांट का शिलान्यास किया था, जो गोंडा की जनता के लिए धोखा साबित हुआ, जिस जमीन पर शिलान्यास किया गया था, उस जमीन का कोई अनुबंध नहीं था और न ही ऐसा कोई प्रोजेक्ट पॉवर प्लांट गोंडा को मिला था।
Author: samachar
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