अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के 8 इंटर रिलिजियस मैरिज मामले में याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 8 अंतरधार्मिक जोड़ों की सुरक्षा की याचिका खारिज कर दी। सुरक्षा के मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने कहा है कि इन विभागों में यूपी के धर्मांतरण विरोधी कानून के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है। 2021 में धर्मांतरण विरोधी कानून गलत बयानी, बल, धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती और प्रलोभन के जरिए एक से दूसरे धर्म में गैर कानूनी रूपांतरण पर रोक लगाता है।
जस्टिस सरल श्रीवास्तव ने याचिकाओं के संबंध में कहा कि यह इंटर रिलिजियस मैरिज के मामले थे। हालांकि, ये विवाह स्वयं कानून के अनुरूप नहीं थे, क्योंकि धर्मांतरण विरोधी कानून का पालन नहीं किया गया था। याचियों ने अपनी सुरक्षा और अपने वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप न करने की मांग की थी। कोर्ट ने 10 से 16 जनवरी 2024 के बीच इन याचिकाओं को खारिज कर दिया। इन आठ मामलों में पांच मुस्लिम युवकों ने हिंदू लड़कियों से शादी की थी और तीन हिंदू युवकों ने मुस्लिम लड़कियों से शादी की थी।
कानूनी सुरक्षा की मांग
इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जोड़ों ने अपनी सुरक्षा और अपने वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप न करने के निर्देश देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने 10 जनवरी से 16 जनवरी के बीच अलग-अलग तारीखों पर इन याचिकाओं को खारिज किया। कोर्ट ने आदेश में याचिकाकर्ताओं के धर्म का जिक्र किया था। याचियों की ओर से कानूनी राहत दिए जाने की मांग की जा रही थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से किए गए अनुरोधों को अस्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ताओं को राहत नहीं दी जा सकती है। नतीजतन, रिट याचिका खारिज की जाती हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद विवाह करते हैं तो वे नई रिट याचिका दायर कर सकते हैं।
Author: samachar
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